बहराइच। राष्ट्रीय कृषि विकास (30 नाॅन एन.एच.एम.) योजनान्तर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र बहराइच के सभागार में मसालों की समन्वयक उत्पादन तकनीकी, फसल प्रबंधन एवं फसल तुड़ाई उपरांत प्रबंधन विषय पर आयोजित 02 दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जिला उद्यान अधिकारी महेश कुमार श्रीवास्तव द्वारा लहसुन, प्याज एवं मिर्च की खेती की आर्थिकी के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी प्रदान की गयी। उन्होंने बताया कि मसाला उत्पादन अपनाकर भी कृषक अपनी आय दुगुनी कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत जनपद में इस वर्ष लहसुन, प्याज एवं मिर्च क्षेत्र विस्तार की योजना लागू है। सभी किसान भाई इसका अधिक से अधिक लाभ उठाये।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र, बहराइच के वैज्ञानिक डा. वी.पी. सिंह ने लहसुन, प्याज एवं मिर्च की प्रजातियों के चयन, गुणवत्तापूर्ण रोपण सामाग्री की उपलब्धता तथा उन्नतशील खेती के माध्यम से बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के सम्बन्ध में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की। जबकि कृषि वैज्ञानिक डा. रोहित पाण्डेय ने लहसुन, प्याज, एवं मिर्च में रोग एवं कीट-व्याधि नियत्रंण के बारे में उपयोगी जानकारी देते हुए कहा कि उचित फसल चक्र अपनाकर भी किसान भाई अपने फसल को कीट व्याधियों से बचा सकते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र, बहराइच के वैज्ञानिक डा. सूर्यबली सिंह ने मसाला उत्पादन में पानी प्रबन्धन तथा जैविक खेती की उपयोगिता तथा उनसे होने वाले लाभों के बारे जानकारी दी गयी। प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अभियन्ता राजीव ने मसालों की खेती में मशीनीकरण के उपयोग तथा इससे इकाई लागत में होने वाली कमी के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। प्रगतिशील कृषक शशांक सिंह ने उपस्थित किसानों के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि किसान अपनी आय को दोगुना करने के लिए मसाला खेती को भी एक विकल्प के रूप में अपना सकते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए योजना प्रभारी आर.के. वर्मा ने वर्तमान समय में मसालों की खेती में कराये जाने वाले सामयिक कार्यों की विस्तार से जानकारी प्रदान की। उन्होंने किसानों को सुझाव दिया कि लहसुन व प्याज में थ्रिप्स कीट, मक्का तथा मिर्च की फसल में वायरस जनित बीमारियों की रोकथाम हेतु गेंदा का रोपण मेड़ों एवं बरहा-नालियों पर अवश्य करें। उन्होंने बताया कि गेंदा रोपण से उपरोक्त फसलों में लगने वाली तमाम कीट-व्याधियों की रोकथाम की जा सकती है।
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