गोण्डा। आज जनपद न्यायालय में नगर परिषद गोण्डा के प्रत्यासी रही जक्कू के तरफ से अध्यक्ष पद के निर्वाचन को निरस्त करने के लिए एक वाद दायर किया है। जिसमें जनपद न्यायाधीश ने कल सुनवाई के लिए तिथि निश्चित किया है।
बताते चले नगर परिषद गोण्डा के सम्पन्न हुए चुनाव में पूर्व चेयरमैन उजमा राशिद लगभग तीन हजार मतों से भाजपा के प्रत्यासी माया शुक्ला को पराजित कर विजय श्री हासिल किया है। तीसरे स्थान पर तत्कालीन अध्यक्ष रूपेश श्रीवास्तव की माता पूनम श्रीवास्तव और चैथे स्थान पर रही। श्रीमती जक्कू ने आज आरओ अरुण कुमार शुक्ला आदि को प्रतिवादी बनाया है। दायर वाद में कहा गया है कि वर्ष 2006 में सायलेन्ट बूथ कैप्चरिंग का आज तक गणना नही करायी गयी। अधिवक्ता महराज श्रीवास्तव ने बताया कि मैं जक्कू का अधिवक्ता हूँ। आजय दायर वाद में जिला निर्वाचन अधिकारी, मुख्य राजस्व अधिकारी और उ0प्र0 सरकार को प्रतिवादी बनाया गया ह। अधिवक्ता का कहना है कि चुनाव के दिन सायलेन्ट बूथ कैप्चरिंग की गयी है। आचार संहिता में गाइड लाइन के विपरीत आरओ और प्रत्यासी ने कार्य किया है। मतदान तिथि के 48 घण्टे पहले ही गैर जनपद क लोगों को जिला छोड़ देना चाहिए लेकिन ऐसा न करके गैर जनपद के लोग एजेन्ट बने रहें।
जनपद न्यायाधीश ने स्वीकार की याचिका
आज जक्कू के तरफ से विद्वान अधिवक्ता महराज श्रीवास्तव ने याचिका जनपद न्यायाधीश के न्यायालय पर दायर किया जिसे स्वीकार कर द्वितीय पाली में सुनवायी भी की जिसमें प्रत्यासी उजमा राशिद के अधिवक्ता हाजिर हुए। न्यायाधीश ने बहस और फैसले के लिए कल का तिथि निश्चित किया है।
2006 में मतदान के बाद हुआ था सायलेन्ट बूथ कैप्चरिंग
वर्ष 2006 से गोण्डा ने नगर परिषद चेयरमैन पर ग्रहण लगा हुआ है। पूरे दिन शान्ति पूर्ण ढंग से चुनाव सम्पन्न होने के बाद सांयकाल सायलेन्ट बूथ कैप्चरिंग कह कर मतगणना आज तक नही हुयी फिर पूरे पांच वर्ष प्रशासन ही नगर परिषद देखता रहा। वर्ष 2012 में पुनः चुनाव होने पर चेयर के रूप में रूपेश श्रीवास्तव उर्फ निर्मल चेयरमैन चुने गये लेकिन एक मंत्री से ताल मेल न होने के कारण व वित्तीय अनियमितता में बर्खास्त कर दिये गये। जिससे यह कार्यकाल भी जिला प्रशासन के देख-रेख में सम्पन्न हुआ और अब एक बार पुनः संकट के बादल मण्डरा रहें है।


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