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बिना खर्चे के खेती कर सकेंगे किसान.....जानिये कैसे ....




सत्येन्द्र खरे 
खेती और वह भी बिना किसी खर्चे के, सोचने में यह जरूर अजीब लग सकता है, लेकिन यह संभव है। देश और प्रदेश के कई किसान ऐसा कर रहे है और इसे नाम दिया गया है जीरो बजट खेती। ऐसा करने वाले किसान को खाद-कीटनाशक और सूक्ष्म पोषकतत्व के लिए बाजार नहीं जाना होगा। घर में सिर्फ एक देशी गाय होनी चाहिए। इसके गोबर, मूत्र आदि से घर में तैयार जीवामृत, बीजामृत, धनामृत और कीटनाशक के जरिए 10 से 30 एकड़ तक खेती संभव है। राज्य सरकार इसे प्रदेश में बढ़ावा देने जा रही है। 

लखनऊ में होगी कार्यशाला
आगामी 20 से 25 दिसंबर तक लखनऊ के बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में खेती का यह तरीका सिखाने पद्मश्री सुभाष पालेकर आ रहे है। इसमें जिले के प्रत्येक ब्लाक से कम से कम एक-एक किसान शामिल होने जाएंगें। इस कार्यक्रम में कई राज्यों समेत नेपाल, मारीशस, बांगलादेश, पाकिस्तान और इजराइल के किसान भी हिस्सा लेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बैनर तले होने वाले प्राकृतिक कृषि अभियान के इस आयोजन से भारत समाज, आर्य समाज, गायत्री परिवार, आर्ट ऑफ लीबिंग, भारत स्वाभिमान मंच, भारतीय किसान संघ जैसी प्रमुख संस्थाओं के अलावा किसानों के हित में काम करने वाली सौ से अधिक संस्थाएं संबद्ध है। आयोजन के लिए तीन मानकों के आधार पर किसानों का चयन किया गया है। देशी गाय, सामाजिक सरोकार और प्रयोगधर्मिता। इनके सामने सुभाष पालेकर वैज्ञानिक, प्राकृतिक और आत्मनिर्भरता की कसौटी पर जीरो बजट की खेती के औचित्य को साबित करेंगे। 

जीरो बजट खेती की खूबियां

किसान को बाजार जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। इससे जहां पैसा बचता है, वहीं वह कर्जदार नहीं होता है। खेत की उर्वरा शक्ति बनी रहने से उपज भी नहीं घटती है। परंपरागत खेती की तुलना में पानी की खपत कम होने से पानी का खर्च भी बचता है। खेती का तरीका प्राकृतिक होने के नाते भूमि की सेहत भी सलामत रहती है। तैयार उत्पादकों के जैविक होने के नाते किसानों को उत्पाद के दाम भी अच्छे मिलते है। विशेषज्ञों ने इसके लिए ऐसा फसलचक्र बनाया है, जिससे खेत में साल भर कुछ न कुछ उगेगा। सहफसल से किसान की लागत निकल आएगी। मुख्य फसल की आय बोनस होगी। 

जीवाणुओं की संख्या बढ़ाने पर जोर

पौधों के पोषण के लिए जरूरी 16 तत्व प्रकृति में उपलब्ध रहते है। मिट्टी में पाए जाने वाले जीवाणु इन पौधों को उपलब्ध कराते है। जीरो बजट खेती में जोर पौधों को सीधे ये तत्व मुहैया कराने के बजाय जीवाणुओं की संख्या बढ़ाने का होता है। जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम के मुताबिक जैविक खेती करने वाले किसान गाय की सींग को मिट्टी में गाड देते है। इससे उसमें करोड़ो की संख्या में जीवाणु उत्पन्न हो जाता है। जो एक से डेढ़ बीघे की जैविक खेती में काम आता है। वहीं किसान खेत में एक मीटर का गड्ढा बनाकर देशी गाय का गोबर, गुड़, बायोडान्मिक पाउडर व अंडा की चर्बी मिलाकर भर दें। कुछ दिन बाद हजारों करोड़ जीवाणु उत्पन्न हो जाएंगे। 

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