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भारी विरोध और लाठी चार्ज के बाद भी कांग्रेस वर्कर्स का नहीं टूटा मनोबल, प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में लानें की रख दी राहुल से डिमांड


रूबी सिद्दीकी 

अमेठी (यूपी). कई पहलुओं से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को जनवरी (2018) में अपने संसदीय अमेठी का ये दो दिवसीय दौरा यादगार रहेगा। दो दिनों में जहां बीजेपी ने रायबरेली-अमेठी में राहुल का विरोध किया वही अपने नेता के विरोध के बचाव में उतरे कांग्रेस वर्कर्स पर कहीं पुलिस की लाठियां बरसी तो कहीं उन्हें खदेड़ा गया। बावजूद इसके राहुल से लेकर कांग्रेस वर्कर्स का मनोबल टूटा नहीं,  राहुल ने जहां गौरीगंज में कई किलोमीटर का सफर पैदल तय कर विरोध को फेस किया वहीं गौरीगंज के पनियार में अमेठी और इलाहाबाद के कांग्रेसियों ने प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में लानें की राहुल से डिमांड रखी।

 'मुस्कुरा कर आगे बढ़ गये राहुल'

यहां अपने दौरे के दूसरे दिन कांग्रेस अध्यक्ष एवं अमेठी राहुल गांधी मंगलवार सुबह मुंशीगंज गेस्ट हाउस में पहले कांग्रेस के वर्कर्स और लोकल लोगों की फरियाद सुनते रहे, फिर उनका काफ़िला गेस्ट हाउस से निकला और गौरीगंज के लिये रवाना हुआ। 
इस बीच गौरीगंज के पनियार में राहुल का वेट कर रहे कांग्रेसियों ने जैसे ही दूर से राहुल के काफ़िले की लग्ज़री गाड़ियों को आते देखा तो उन्होंंने 'राहुल गांधी ज़िंदाबाद' के नारे लगाने शुरु कर दिये। काफ़िला क़रीब आया तो अधिक संख्या में जमा लोगों को देखकर राहुल ने गाड़ी रुकवाया और उनसे मिलने पहुंच गये। जमा लोगों में अमेठी और इलाहाबाद के कांग्रेसियों शामिल थे, जिन्होंने राहुल से दो टूक कहा 'आप कांग्रेस अध्यक्ष हो गये, अब प्रियंका को सक्रिय राजनीति में लाये'। इलाहाबाद से आये कांग्रेस वर्कर्स ने प्रियंका को ज़िले की फूलपुर सीट से चुनाव लड़ाने की भी मांग किया। वर्कर बोले अगर प्रियंका को चुनाव नहीं लड़ाते तो चुनाव संचालन समिति की बागडोर उनको दीजिए। इस पर 'राहुल मुस्कुरा कर आगे बढ़ गये'। 


प्रियंका ने 1999 में  नये सिरे से रखी अमेठी में कांग्रेस की राजनीति की आधार शिला

आपको बता दें कि नेहरु-गांधी परिवार का गढ़ कहे जानें वाली अमेठी में राजीव गांधी के बाद राजनीति की जो शुरुआत हुई उसकी आधार शिला 1999 में कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी ने रखा था। पहले मां और फिर 2004 में यहां से भाई के राजनैतिक कैरियर की शुरुआत उन्होंंने ही की। 
जानकारों की मानें तो जब पहली 1999 में अमेठी से सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ा था तो कमान प्रियंका गांधी ने ही थामी थी,  और उन्हें 67.12% वोट मिले थे। इसके बाद 2004 में सोनिया ने बेटे राहुल के लिये अमेठी सीट छोड़कर रायबरेली से चुनाव लड़ा। दोनों ही सीटों की चुनावी कमान प्रियंका के हाथों में रही, अमेठी में राहुल को 66.18% तो रायबरेली में सोनिया को 58.75% वोट मिले। 
2009 में तो प्रियंका की कमान ने अमेठी से राहुल की जीत में चार चांद लगा दिया था, उन्हें 71.78% वोट मिले थे, जबकि रायबरेली से सोनिया को 72.23% वोट।  
जानकार बताते हैं के 2014 मोदी लहर में भी प्रियंका का दादी की पारम्परिक सीट पर जलवा क़ायम रहा। रायबरेली में उनकी मां एक दिन भी कैम्पेन में नहीं आई, फिर भी 63.80% वोट उन्हें मिले। जबकि अमेठी में बीजेपी ने सारा तंत्र लगा रखा था, राजनैतिक परम्परा को तोड़ खुद पीएम पद के उम्मीदवार तक कैम्पेन को पहुंचे थे। बावजूद इसके ये प्रियंका ही की देन थी के कड़े मुकाबले के बाद भाई राहुल को उन्होंने 46.71% वोट कराये।

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