अखिलेश्वर तिवारी
बलरामपुर ।। देश की सरकारें व तमाम सामाजिक संगठन भले ही बेटी और बेटा के बीच फर्क समाप्त करने के प्रयास कर रहे हो परंतु हकीकत में अभी ऐसा नहीं हो पा रहा है । लगातार लड़कियों के साथ भेदभाव की शिकायतें आती रही हैं । ताजा मामला जनपद बलरामपुर के कोतवाली देहात क्षेत्र से जुड़ा हुआ है जहां आज भोर सुबह एक नवजात बच्ची को जन्म के बाद खेत में फेंक दिया गया । राहगीरों की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने बच्ची को लाकर महिला चिकित्सालय के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया जहां उसकी हालत अब सामान्य बताई जा रही है ।
जानकारी के अनुसार कोतवाली देहात क्षेत्र के बौद्ध परिपथ से सटे हुए ग्राम सिसई के पास आज भोर सुबह एक गन्ने के खेत में नवजात बच्ची लावारिस पड़ी मिली । सुबह टहलने के लिए निकलने वाले लोगों ने बच्चे की रोने की आवाज सुनी और पास में जाकर देखा तो एक नन्ही सी बच्ची थोड़े से कपड़ों के बीच लपेटकर खेत में लिटाई हुई थी । इस घटना की सूचना लोगों ने डायल हंड्रेड पुलिस को दी । मौके पर पहुंची पुलिस ने एंबुलेंस की सहायता से बच्ची को जिला महिला चिकित्सालय के शिशु वार्न केयर यूनिट में लाकर भर्ती कराया । महिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ नीना वर्मा ने बताया की बच्ची को जब लाया गया था तो उसकी हालत काफी गंभीर थी जिसे शिशु वार्न केयर यूनिट में भर्ती कराया गया । शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में इलाज के बाद अब बच्ची की हालत सामान्य है और वह पूर्णतया स्वस्थ है । बच्ची स्वस्थ भले ही हो परंतु पूरे मानव समाज पर इस घटना ने प्रश्नचिंह लगा दिया है । कहीं ना कहीं मानवता का घृडित चेहरा ही कहा जाएगा कि एक नन्ही सी जान को मरने के लिए इस प्रकार खेतों में फेंकने वाली मां क्या इतनी निर्दई हो सकती है ? यह सवाल हर सुनने वालों के जेहन में अनायास ही गूंज रहा है ।


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