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सरस काव्य गोष्ठी में बदलते मनुष्य की चेतना पर विमर्श




सुनील उपाध्याय 
बस्ती । मां ब्राहमी शैक्षिक, साहित्यिक एवं लोक कल्याणकारी ट्रस्ट की ओर से कमलेश निवास कूरहा पट्टी में सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन पूर्व प्रधानाचार्य डा. कमलेश पाण्डेय की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि कमलापति पाण्डेय ने गद्य, पद्य की उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा करते हुये साहित्य के अतीत और वर्तमान सन्दर्भों को रेखांकित किया। कहा कि बिना साहित्य के मनुष्य संवेदनशील नहीं हो सकता। साहित्य हमें प्रेम, करूणा के साथ ही विनम्र बनाता है।


राममणि शुक्ल ने ‘ नागफनियों पर भरा उर प्रान्त है’ के माध्यम से वर्तमान सामाजिक संत्रासों पर प्रकाश डाला। त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने वैदिक भारत के आदर्शों को रेखांकित करते हुये जड़ों की ओर लौटने का आवाहन किया। कहा कि वर्तमान विज्ञान  वेद का अंश मात्र है। दुनिया के विकसित देश हमारे वेद पुराण के माध्यम से विकसित हो रहे हैं किन्तु हमने अपने गौरवशाली समृद्ध साहित्य को उपेक्षित कर दिया है, यह स्थितियां खतरनाक हैं। 
सरस काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये डॉ. कमलेश पाण्डेय ने मौन की महिमा पर प्रकाश डालते हुये अपने स्वरचित काव्य संकलन के अनेक कविताओं के  माध्यम से मानवीय संवेदना के क्षरण पर चिन्ता व्यक्त किया। 
गोष्ठी में अशोक पाण्डेय, सौरभ पाण्डेय, राममिलन दूबे, विकास उपाध्याय आदि शामिल रहे।

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