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एडीओ पंचायत भूले अपने कर्तव्य, कामकाज छोड़कर सोते मिले ,तस्वीरे हुई कैद






 शासन के आदेश एडीओ पंचायत बेलहर के लिए फेल
आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। शासन ने जनता की बात और जन समस्याओं को निस्तारण कराने के लिए बकायदा समय सारणी निर्धारित किया है और उसका पालन कराने के लिए सख्त निर्देश भी दिया गया है, लेकिन जिम्मेदार अपने दायित्वों को छोड़कर कार्यालय में ही कुंभकरण की नींद ले रहे हैं।
      

ताजा मामला बेलहर कला ब्लॉक पर तैनात एडीओ पंचायत रविंद्र सिंह का है। बता दे कि मंगलवार को एडीओ पंचायत रविंद्र सिंह अपने कार्यालय में कामकाज को छोड़कर बाकायदा बिस्तर लगवा कर कुंभकरण की नींद सो रहे थे और फरियादी इधर उधर भटक रहे थे। इतना ही नहीं आराम फरमाने के लिए एडीओ पंचायत ने सामने से अपने कार्यालय को बंद करवा दिया था जिससे कोई भी व्यक्ति आ ना जान सके कि अंदर कौन सा माजरा चल रहा है। 


ब्लॉक क्षेत्र के संबंध में जानकारी हेतू जब मीडिया टीम ब्लॉक पर पहुंची तो कुछ फरियादी इधर उधर टहलते मिलें और मीडिया कर्मियों से बताया कि जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी आए दिन नदारद रहते हैं और अगर कोई आता भी तो आराम फरमाते हैं।

वीडियो 

 मीडिया की टीम ने सच्चाई की तहकीकात करने के लिए जैसे ही दूसरे दरवाजे से एडीओ पंचायत के कार्यालय में दस्तक दिया तो कुछ अन्य कर्मचारियों में खलबली मच गई और अंदर कार्यालय कक्ष में एडीओ पंचायत रविंद्र सिंह बिस्तर लगाकर कुंभकरण की नींद ले रहे थे फिर क्या था मीडिया के कैमरे में जैसे ही तस्वीरें कैद हुई तो कर्मचारियों ने आनन-फानन में एडीओ पंचायत को जगाने की कोशिश की लेकिन साहब की नींद इतनी गहरी थी कि मानो साहब ने 24 घंटे ड्यूटी किया हो।


 कैमरे में तस्वीरें कैद होते हैं साहब के कार्यालय का दरवाजा खुल गया और साहब उठकर अपने कुर्सी पर विराजमान हो गए, मीडिया कर्मियों ने इसकी जानकारी जिलाधिकारी से दूरभाष पर अवगत कराया तो उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन दिया। अब सरकार ने जहां सख्त निर्देश और जन समस्याओं का निस्तारण के लिए समय सारणी निर्धारित किया है वही दिन के 11:00 बजे के आसपास ही एडीओ पंचायत साहब अपने दफ्तर में आराम फरमा रहे हैं और फरियादी साहब के कार्यालय के अगल-बगल चक्कर लगा रहे हैं। ऐसे में साफ है कि एक तरफ जहां जिम्मेदार अपने दायित्वों का पालन नहीं करना चाह रहे हैं


 वहीं क्षेत्र के लोग ब्लॉक कार्यालय का चक्कर लगा के थक जा रहे हैं लेकिन साहब ना मिल रहे हैं और ना ही कोई सही जानकारी दे रहा है। बताया जाता है कि साहब कार्यालय में आराम फरमा कर अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से लंबा कमिशन लेते हैं इसीलिए जनता की जन समस्याओं को अनदेखी और क्षेत्र के विकास पर विराम है। जानकारों की बात मानें तो एडीओ पंचायत साहब के कारनामे अनेकों है लेकिन उजागर करने के लिए वरिष्ठ अधिकारी भी जहमत नहीं उठाना चाहते बताया जाता है कि पंचायत साहब पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि का संरक्षण है, इसलिए यदि मामला कुछ कागजों में चलता है तो फाइलों में ही सीमित रह जाता है क्योंकि नेताजी का दबदबा जो कायम है।

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