आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। सुबह होते ही रोडओं पर खुले में बालू की गाड़ियों रोड पर सरपट दौड़ने लगती हैं जिससे बड़ी दुर्घटना की दावत रोड पर दौड़ रही गाड़ियां दे रही हैं। लेकिन जिम्मेदार सब कुछ देख कर मौन साधे हुए हैं।
बता दें कि धनघटा थाना क्षेत्र से भारी मात्रा में प्रतिदिन ट्रैक्टर ट्रालीओं पर बालू लोड कर विभिन्न क्षेत्रों में व्यवसायिक ले जाते हैं। सरकार के शासनादेश के अनुसार किसी भी वाहन पर बालू ले जाते समय उसे पूरी तरह से ढका होना चाहिए जिससे रोड पर अन्य यात्रियों को किसी असुविधा का सामना न करना पड़े अक्सर ऐसा होता है कि जब खुले में भारी वाहनों से बालू ले जाया जाता है तो पीछे वाहन यात्रियों को धूल उड़कर आंखों में पड़ने की संभावना रहती है जिससे बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है।
अब ऐसे में व्यवसायिक भारी वाहनों से खुलेआम बालू को लोड करके ले जा रहे हैं और अहम बात तो यह भी है कि जिन रास्तों से वाहनों से बालू लोड करके भारी वाहनों से ले जाया जाता है उन रास्तों पर पुलिस चौकियां से लेकर थाने भी पढ़ते हैं लेकिन जिम्मेदार सब कुछ देखते हुए भी मौन साधे हुए हैं या यूं भी कह लिया जाए की बड़ी दुर्घटनाओं का इंतजार में है। इन दिनों कड़ाके की धूप से जहां इंसान से लेकर जानवर तक तरह-तरह कर रहा है और सभी के लिए पानी का अहम भूमिका होता है।
कहां भी जाता है की जल ही जीवन है ऐसे में भारी वाहनों पर जो बालू लोड करके बिना ढके ले जाते हैं जो कुछ मिनटों में ही सूख जाता है और हवाओं से गाड़ियों से रेत उड़ने लगता है जिससे रोड पर आवागमन कर रहे यात्रियों को बेहद समस्याएं होती हैं और भारी दुर्घटना की स्थिति बरकरार बनी रहती है। सवाल यह भी है कि जब विक्रेता को शासनादेश को ध्यान रखते हुए बिक्री करने की बात कहीं गई है तो फिर उन बातों को भी क्यों अनदेखी कर दिया जाता है और अहम सवाल यह है कि जिम्मेदार आखिर कब अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे यहा रोड पर दौड़ रही सरपट गाड़ियों पर नकेल आखिर कब कसेगें।
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