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जन्मदिन पर काव्य भूषण सम्मान से सम्मानित हुए डा. वी.के. वर्मा


सुनील उपाध्याय 
बस्ती। होम्योपैथ के वरिष्ठ चिकित्सक, समाजसेवी, साहित्यकार डा. वी.के. वर्मा के व्यक्तित्व, कृतित्व पर शनिवार को हिन्दी सेवा समिति द्वारा कलेक्टेªट परिसर में गोष्ठी आयोजित कर उन्हें ‘काव्य भूषण’ सम्मान से सम्मानित किया गया।
अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि ग्रामीण परिवेश से निकले डा. वी.के. वर्मा ने गरीबी, अभाव को नजदीकी से देखा और दो दशक के भीतर उन्होने चिकित्सा, शिक्षा, समाजसेवा, साहित्य के क्षेत्र में जो स्थान प्राप्त किया वह विरलों को मिलता है।   अनेक कृतियों के रचयिता काव्य गुरू डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने कहा कि जिसके हृदय में करूणा नही है वह कवि नहीं हो सकता, संसार की प्रथम कविता दुःख के भंवर में लिखी गई।  मानवीय संवेदनशीलता डा. वी.के. वर्मा की सबसे बड़ी पूंजी है। समाजसेवी श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि मनुष्य वही है जो दूसरों के दुःख से द्रवित होता हो। डा. वी.के. वर्मा लाखों गरीबों की चिकित्सा के क्षेत्र में सेवा कर चुके हैं और उनके आशीर्वाद से ही वे निरन्तर सफलता की ओर हैं।
डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि व्यक्ति का स्वयं में कोई अस्तित्व नहीं होता, वे भाग्यशाली है कि उन्हें अच्छे लोग मिले और कारवां बढता गया। कहा कि साहित्य के क्षेत्र में डा. रामकृष्ण लाल जगमग उनके गुरू है जिनके सानिध्य में उनकी रचना धर्मिता को नित नया आकाश मिल रहा है। कहा कि भाव मन्थन के साथ ही उनकी अब तक 8 कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं जिसे पाठकों में समादर मिला। लेखन प्रक्रिया अनवरत जारी है। उन्होने इसी क्रम में पात्र गरीबों में कम्बल का वितरण किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से पेशकार मिश्र, मो. वसीम अंसारी, डा. राम मूर्ति चौधरी, डा. वेद प्रकाश पाण्डेय, पं. चन्द्रबली मिश्र, डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र, रामचन्द्र त्रिपाठी, उपेन्द्र कुमार शुक्ल, सरदार जगबीर सिंह, राघवेन्द्र शुक्ल, रहमान अली रहमान, जय प्रकाश गोस्वामी, जगदीश प्रसाद, शव्वीर अहमद, दीनानाथ यादव, जगदम्बा प्रसाद भावुक आदि ने डा. वर्मा पर अपने विचार व्यक्त किये।

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