वासुदेव यादव
अयाेध्या। बैकुंठवासी पूर्वाचार्य जगद गुरु रामानुजाचार्य महन्त स्वामी पुरूषाेत्तमाचार्य महाराज का प्रभु श्रीराम से अगाध प्रेम था। यही कारण था कि वह राममन्दिर आन्दाेलन में शुरूवाती दाैर से ही जुड़ गए और उनका आश्रम आन्दाेलन का मुख्य केन्द्र विन्दु बना। जहां से समय-समय पर उसे गति दी गई। वह रामजन्मभूमि आन्दाेलन के अग्रणी याेद्धाओं में से एक थे। जिन्हाेंने भगवान राम और राममन्दिर के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्हाेंने मन्दिर आन्दाेलन में अमिट छाप छोड़ी। जिसे कभी भुलाया नही जा सकता है। उनका सपना था कि श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मन्दिर बने। हमारे रामलला टाट-पट्टी से निकलकर दिव्य भवन में विराजमान हाे। अब चूंकि सुप्रीमकाेर्ट ने राममन्दिर के पक्ष में निर्णय दे दिया है, जिससे महाराजश्री का सपना जल्द साकार हाेने वाला है। इन दिनाें सुग्रीवकिला मेंं स्वामी पुरूषाेत्तमाचार्य महाराज का वैकुण्ठाेत्सव मनाया जा रहा है, जिसमें मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ समेत देश के कई दिग्गज संत-धर्माचार्य शामिल हाे चुके हैं। सभी ने राममन्दिर के लिए किए गए उनके अतुलनीय योगदान काे सराहा।
उनके शिष्य व आश्रम के वर्तमान पीठाधीश्वर जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य महाराज कहते है कि महाराज श्री काे देखकर ही हम बड़े हुए हैं। उनके आदर्शों व किए गए कार्याें काे कभी भुलाया नही जा सकता है। उन्हाेंने राम जन्मभूमि के लिए बहुत त्याग किया। अब राममन्दिर का निर्माण जल्द हाेने जा रहा है क्योंकि काेर्ट ने मन्दिर के पक्ष में फैसला दे दिया है। हमारे गुरू की भी आखिरी इच्छा थी कि भव्य मन्दिर का निर्माण हाे और हमारे रामलला टेण्ट से निकलकर दिव्य भवन में विराजमान हाें। जाे अब पूरी हाेने जा रही है। लेकिन मलाल यही रहेगा कि वह अपने जीते-जी अपनी आंखाें से राममन्दिर का निर्माण नही देख पाए।
कार्यक्रम में आये सभी सन्त महन्त का परमार्थी गौ सन्त सेवी धर्म विद पुजारी अनंत पद्मनाभा चार्य जी महाराज ने अंग वस्त्र दक्षिणा आदि भेंटकर स्वागत सत्कार किया।


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