13 से लेकर 25 जनवरी तक चला क्षय रोगियों का विशेष चिन्हीकरण अभियान
प्राइवेट चिकित्सक, केमिस्ट, नर्सिंग होम, पैथालॉजी में चला यह विशेष अभियान
आलोक बर्नवाल
सन्तकबीरनगर। विशेष क्षय रोगी चिन्हीकरण अभियान का तीसरा चरण सोमवार को पूरा हो गया। इस दौरान ऐसे 27 क्षय रोगियों का चिन्हीकरण किया गया जो प्राइवेट चिकित्सकों के यहां इलाज करा रहे थे। प्राइवेट चिकित्सको, केमिस्टों, नर्सिंग होम व पैथालाजी को केन्द्र में रखकर 13 से 25 जनवरी तक यह अभियान चलाया गया था।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एस डी ओझा तथा क्षय रोग उन्मूलन अभियान के जिला कार्यक्रम समन्वयक अमित आनन्द के निर्देशन में डिस्ट्रिक्ट पब्लिक प्राइवेट मिक्स कोआर्डिनेटर कविता पाठक के नेतृत्व में यह अभियान चलाया गया। इस दौरान 11 टीमों ने प्रतिदिन 10 इकाइयों का निरीक्षण किया। कुल 543 केमिस्ट के साथ ही नर्सिंग होम, क्लीनिक, पैथालॉजी लैब आदि को मिलाकर 178 अन्य स्थानों पर चेकिंग व मानीटरिंग की गई। इस मानीटरिंग में 27 क्षय रोग के पाजिटिव मरीज पाए गए थे। इन सभी मरीजों के लिए आवश्यक चिकित्सा की व्यवस्था कराई गई । कविता पाठक ने सभी प्राइवेट चिकित्सकों, केमिस्टों, नर्सिंग होम के संचालको तथा अन्य लोगों से यह अनुरोध किया है कि कोई भी किसी क्षय रोगी के बारे में जानकारी हो तो तुरन्त ही जिला क्षय रोग विभाग को बताए। जिससे उनकी त्वरित चिकित्सा की जा सके, साथ ही प्रतिमाह 500 रुपए मिलने वाले निक्षय पोषण योजना के लाभ के साथ ही सरकार के द्वारा दी जाने वाली अन्य सुविधाओं से उन्हें आच्छादित किया जा सके।
निक्षय पोर्टल पर अंकित किये गये ये 27 मरीज
डिस्ट्रिक्ट पीपीएम कविता पाठक बताती हैं कि इन 27 मरीजों के चिन्हीकरण के पश्चात इनको निक्षय पोषण योजना का लाभ दिलाने के लिए इनके समस्त कागजात लिए गए। साथ ही इनको निक्षय पोर्टल पर अंकित किया गया है। अब इनके खाते में हर महीने 500 रुपए पोषण भत्ते के रुप में पहुंचेगा।
पिछले दो चरणों मे चिन्हित हुए थे 78 मरीज
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एस डी ओझा बताते हैं कि विशेष क्षय रोगी चिन्हीकरण अभियान पूरे एक महीने तक चला है। इनमें पहला चरण 26 दिसम्बर से लेकर 1 जनवरी तक चला जिसमें बाल आश्रम तथा वृद्धाश्रम आदि में क्षय रोगियों की खोज हुई। इसमें कोई मरीज नहीं मिला। वहीं दूसरे चरण में गांव व शहर की मलिन बस्तियों को टारगेट करके 2 से लेकर 12 जनवरी तक अभियान चलाया गया। इस अभियान के दौरान कुल 4 लाख की आबादी को कवर किया गया और 78 क्षय रोगियों का चिन्हीकरण करते हुए उनके इलाज की व्यवस्था की गई।
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