रजनीश/ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। करनैलगंज से हुजूरपुर मार्ग के निर्माण में बिजली लाइन बिछाने में खेल शुरू हो गया है। पौने दो करोड़ के इस प्रोजेक्ट को कार्यदाई संस्था व विभाग ने नए सामान का प्रयोग न कर पुराने पोल व सामान को लगाया जा रहा है। हुजूरपुर मार्ग के चौड़ीकरण कार्य को लेकर कराये गये बिजली लाइन सिप्टिंग में बड़ा खेल सामने आया है। नई के जगह पुरानी सामग्री का प्रयोग करके लाइन बिछा दी गई। जिसे इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी मिली थी। उन जिम्मेदारों ने भी बहती गंगा में हाथ धोना शुरू कर दिया। मामला करनैलगंज, सेमरा, हुजूरपुर मार्ग से जुड़ा है। इस मार्ग पर गोंडा जिले की सीमा किलोमीटर 12 तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य कराया जाना है। जिसकी वजह से मार्ग के किनारे स्थापित विद्युत लाइन की सिप्टिंग कराया जाना था। लोक निर्माण विभाग इस कार्य को करा रहा है। जिसमें बिजली लाइन शिफ्टिंग का कार्य बिजली विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। जिस पर 1.79 करोड़ रुपये का इस्टीमेट बनाकर लाइन सिप्टिंग की जिम्मेदारी एक कार्यदाई संस्था को दे दिया गया। बताया जाता है कि अधिक धन बचाने की नियत से इसमें पुरानी सामग्री का उपयोग किया गया है। जब कि नया सामान खरीदकर लाइन बनाया जाना था। नंगे तार की लाइन कई स्थानों पर रोड क्रॉस कर रही है। जिससे किसी भी समय कोई बड़ा हादसा हो सकता है। इस तरह लाइन सिप्टिंग कार्य मे बड़े पैमाने पर खेल हुआ है। पुराने पोल व उन पोल से खोले गए सामान को नई लाइन में लगाया जा रहा है। जबकि लाइन की शिफ्टिंग में सारे सामान का इस्टीमेट नए सामान का बनाया गया है। इस सम्बंध में पीडब्ल्यूडी के जेई अनिल कुमार बताते है कि मार्ग के चौड़ीकरण में बिजली लाइन शिफ्टिंग व अन्य कार्य का भी भुगतान पीडब्ल्यूडी के द्वारा ही कराया जाना है। जिसमे बिजली लाइन शिफ्टिंग में बिजली विभाग किसी ठेकेदार से कार्य करा रहा है जो भी भुगतान वेरिफाई होता है उसका भुगतान विभाग को दिया जाता है। उन्होंने बताया कि यह जांच करना पड़ेगा कि पुराने सामान लगाए गए हैं। उधर बिजली विभाग के एक्सईएन बीएल सिंह बताते हैं कि लाइन शिफ्टिंग का कार्य एक पंजीकृत संस्था के माध्यम से कराया जा रहा है। अब पुराने उपकरण या बिजली के सामान लगाने की जानकारी नही हुई है। विभाग लगातार मोनिटरिंग कर रहा है। एसडीएम हीरालाल का कहना है नए प्रोजेक्ट कार्य में पुरानी सामग्री का प्रयोग करने की शिकायत मिली है। उसकी जांच तहसीलदार से कराई जाएगी। यदि पुरानी सामगी का प्रयोग हुआ है तो जिलाधिकारी को जांच रिपोर्ट भेजी जाएगी।


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