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ईसानगर के सरयू नदी किनारे कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले ऐतिहासिक ठूठवा मेले पर इस वर्ष भी मंडराये बादल

मेला लगवाने के लिए राज परिवार के बीजेपी नेता कुँवर रुद्रप्रताप सिंह ने डीएम को दिया ज्ञापन

सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी संख्या में चप्पे चप्पे पर तैनात होती है पुलिस

कई जनपदों से आते है दुकानदार,लाखों की संख्या में लोग मेले का उठाते है लुप्त

लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता मेले में पहुचकर आमजन को करते है संबोधित

कमलेश जायसवाल

ईसानगर खीरी:ईसानगर क्षेत्र में सरयू नदी किनारे कार्तिक पूर्णिमा पर 415 वर्षों से लग रहे ठूठवा मेले पर विगत वर्ष जहां कोरोना को लेकर प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था वहीं  इस वर्ष भी अभी तक मेले को लगवाने के लिए प्रशासन की चुप्पी देख मेले पर मंडरा रहे खतरे के बादल देख ईसानगर स्टेट के राज परिवार से युवा बीजेपी नेता कुँवर रूद्रप्रताप सिंह उर्फ बन्नू भैया ने जिला अधिकारी को ज्ञापन देकर तराई के ऐतिहासिक मेले को लगवाने की मांग की है। 



इस ऐतिहासिक मेले में कई जनपदों की दुकानें लगने से जहां मेले की रौनक देखे बिना लोग नहीं रह पाते वहीं क्षेत्र के छोटे बड़े नेताओं की राजनैतिक पकड़ आमजन पर कितनी है इसी मेले से शुरू होती आ रही है। 



जिसके चलते सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता बड़े बड़े पंडाल लगाकर मेले में पहुचने वाले लाखों लोगों को संबोधित कर अपनी अपनी ताकत का एहसास भी कराते है। वहीं

 


प्रशासनिक अधिकारी भी मेले की समय से तैयारियां कर श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए तैयार होते आये है।



मेले में लाखों की संख्या में पहुँचने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था के लिए कई उपनिरीक्षकों के साथ साथ महिला पुलिस व पीएसी बटालियन सहित फ़ायर ब्रिगेड मेले में कैम्प लगाकर लोगों की निगरानी करती है। 



मेले में कल्पवासियों व साधु संतों की सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाता है । प्रशासन की ओर से इसके लिए स्वास्थ्य विभाग व सफाई कर्मचारियों की तैनाती पहले से ही सुनिश्चित कर ली जाती है।



किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन पूर्ण तैयारियाँ करते हुए एक सप्ताह पहले से ही आंकलन में जुट जाता है। मेला एक सप्ताह तक चलता है जिसमें कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुँचने पर सरयू नदी के किनारे स्नान दान भंडारे आदि के दौरान भी पर्याप्त व्यवस्था की जाती है।



ईसानगर क्षेत्र में सरयू नदी तट पर लगने वाले ऐतिहासिक मेले में कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करने के साथ साथ मेले का शुभारंभ हो जाता है जो एक सप्ताह तक चलता है। वर्ष 2019 में प्रशासन ने साधु संतों के कल्पवास व भंडारे के आयोजन के  लिए नदी किनारे जगह की अलग से व्यवस्था की थी।



मेले में आवश्यक वस्तुओं की बिक्री के लिए दुकानों के सामने चौड़े रास्ते छोड़े गये थे। जिससे श्रद्धालुओं के आने जाने में  कोई दिक़्क़त न हो। विगत 2019 में लगे मेले में  तत्कालीन थाना ईसानगर निरीक्षक सुनील कुमार सिंह की देखरेख में  प्रशासन की तरफ से मेले में सुरक्षा व्यवस्था के लिए  8 उपनिरीक्षक,16 हेडकांस्टेबल,24 कांस्टेबल,20 महिला कांस्टेबल,डेढ़ सेक्शन पीएसी,एक फ़ायर ब्रिगेड ,दो ट्रैफिक जवान,एक टीजी को लगाया गया था। 




इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर संदीप गुप्ता,आर.बी गुप्ता,प्रीति वर्मा,शिवेंद्र कुमार ओर सागर मलखानी  लगातार कैम्प कर रहे थे।



इसके साथ साथ प्रभारी निरीक्षक ने मेले में जुएं के खेल,डांस पार्टी,मीट व अंडे की दुकानें, शराब की दुकानें भी नहीं लगने दी थी।



मेले में स्वच्छता व्यवस्था का भी विशेष ध्यान रखते हुए करीब एक दर्जन सफाईकर्मियों की स्पेशल ड्यूटी लगाई गई थी, जो साफ सफाई के साथ साथ लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हुए दिखाई दे रहे थे। 



इस दौरान मेले में दूरदराज से भारी संख्या में दुकानदारो के पहुँचने से मेले की रौनक देखने लायक थी । दुकाने सही ढंग से संचालित हो सके उसके लिए प्रशासनिक अमला 24 घंटे तक जायजा लेता था। 



पर वर्ष 2020 में कोरोना संकट को देखते हुए इस ऐतिहासिक मेले पर ब्रेक लग गया था। अब जब कोरोना के बादल लगभग छट गए तो एक बार फिर तराई के लाखों श्रद्धालुओं के साथ साथ राजनीतिज्ञों में यह आस जगी है कि इस बार    प्रशासन मेला अवश्य लगवाने में मदद करेगा। 



मेले के लगने को लेकर बनी आशंका को देखते हुए गुरुवार को युवा बीजेपी नेता व राजपरिवार के कुँवर रुद्रप्रताप सिंह उर्फ बन्नू भैया ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर 415 वर्षों से कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले तराई के ठूठवा मेले को लगवाने की मांग कर धौरहरा समेत पड़ोसी जनपद बहराइच,शाहजहांपुर, सीतापुर,फरूखाबाद समेत अन्य कई जिलों के दुकानदारों के साथ साथ विधानसभा धौरहरा के रमियाबेहड़,धौरहरा व ईसानगर ब्लाक की लाखों की जनता समेत दूरदराज के साधु संतों एवं नेताओं में एक बार फिर मेला लगने की आस जग गई है। 



फ़िलहाल कुछ भी हो अब मेला लगने का पूरा दारोमदार जिलाधिकारी के पाले में है देखना यह होगा कि इस ऐतिहासिक मेले को शुरू करने की अनुमति जिलाधिकारी जी के द्वारा मिलती है कि नहीं। 



हालांकि मेला लगने के लिए अभी एक सप्ताह का समय बाकी है। अगर अनुमति मिल जाती है तो समय रहते तैयारियां भी पूरी की जा सकती है।

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