43 साल बाद पूरी हुई 318 किलोमीटर लम्बी परियोजना
11 दिसम्बर को अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मस्थली पर लोकार्पण करेंगे प्रधानमंत्री
ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 दिसंबर को बलरामपुर जिले के हंसुवाडीह आ रहे हैं। यहां वे 43 वर्ष बाद पूरी हुई 318 किलोमीटर लम्बी सरयू नहर परियोजना का लोकार्पण करेंगे।
माना जाता है कि बहराइच, श्रावस्ती, गोण्डा और बलरामपुर से गोरखपुर तक जाने वाली यह नहर पूर्वांचल में बाढ़ और सूखे की समस्या से निपटने में मददगार साबित हो सकती है।
वहीं इससे राजनीतिक लाभ का भी गुणा-भाग किया जा रहा है। पीएम का कार्यक्रम इसी कड़ी का एक अहम हिस्सा माना जा रहा है।
भगवान बुद्ध की तपोस्थली और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व भारतीय जनसंघ के दिवंगत नेता नानाजी देशमुख की कर्मस्थली पर बनी इस परियोजना के उदघाटन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश और प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को बड़ा संदेश देंगे।
सत्तापक्ष के नेताओं का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी ने नदियों को जोड़ने की योजना बनाई थी और इस परियोजना के पूरा होने के साथ ही उनका सपना भी साकार हो रहा है।
प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने के लिए करीब 4 लाख की भीड़ इकट्ठा करने का लक्ष्य है। पीएम नरेंद्र मोदी बलरामपुर की धरती पर विपक्षियों पर सीधे हमला करने के साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वोटरों को भी साधेंगे।
अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मस्थली से सरयू नहर परियोजना के उदघाटन के पीछे उनकी मंशा साफ है। वे वाजपेयी का उल्लेख करके ब्राह्मण वोटरों को भावनात्मक रूप से जोड़ने का भी काम करेंगे।
दरअसल, आजाद भारत में 78.68 करोड़ की लागत से 1978 में दो जिलों में सिंचाई के लिए राज्य सरकार ने छोटे स्तर पर इस परियोजना को शुरू किया था। चार साल बाद 1982 में इसे विस्तारित करते हुए नौ जिलों को इससे जोड़ दिया गया।
बाद में इसका नाम परिवर्तित कर सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना कर दिया गया। नाम परिवर्तन के साथ ही इसकी लागत भी पुनरीक्षित कर 78.68 करोड़ से बढ़कर 2021 तक 9 हजार 802 करोड़ रुपये हो गई।
साथ ही सिंचित क्षेत्र की क्षमता भी 3.12 लाख हेक्टेअर से बढ़कर 14.04 लाख हेक्टेअर पहुंच गई। सरयू नहर खंड से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि परियोजना से जुड़े सभी कार्य अब पूर्ण हो चुके हैं।
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना से पूर्वांचल के बहराइच, गोण्डा, श्रावस्ती, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, गोरखपुर व महराजगंज में सिंचाई सुविधा का विस्तार होगा।
इस परियोजना के तहत करीब 15 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल की सिंचाई करने का लक्ष्य बनाया गया था। वक्त बीता, इस बीच तमाम सरकारें आईं, लेकिन यह परियोजना पूरी नहीं हो सकी।
वर्ष 2017 में आई योगी सरकार ने इसे गम्भीरता से लिया और परियोजना पूरी करने के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया।
बहराइच में घाघरा नदी पर बने गिरजापुरी बैराज के किनारे से सरयू योजक नहर निकाली गई है। इससे सरयू नदी पर निर्मित सरयू बैराज में पानी लाया जाएगा। इसके बगल से सरयू नहर निकाली गई है।
उसके आगे जाकर श्रावस्ती के राप्ती योजक नहर बनाई गई है। यह आगे जाकर राप्ती नदी पर बने बैराज में राप्ती नदी को पानी देगी, जिसका उपयोग राप्ती मुख्य नहर के लिए किया जाएगा।
सरयू मुख्य नहर से ही बस्ती और गोण्डा जिलों के लिए दो शाखाएं बनाई गई हैं। इसी तरह श्रावस्ती में राप्ती मुख्य नहर से बलरामपुर, सिद्धार्थनगर समेत महराजगंज और गोरखपुर तक पानी पहुंचाने का प्रबंध किया गया है।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ