एस के शुक्ला
प्रतापगढ़। जनपद के जहनईपुर के परशुराम पुर में चल रही श्रीमद भगवत कथा में कथा वाचक बाल ब्यास ओम जी महराज ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया।
श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह को एकाग्रता से सुना। श्रद्धालुओं ने विवाह के मंगल गीत गाए।
कथा के मुख्य यजमान ने दीप प्रज्जवलित किया। प्रसंग में बाल व्यास ओम जी महराज ने कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी।
रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया।
रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था।
रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया।
तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया।
इस दौरान राज कुमार सिंह, डॉ राकेश शर्मा, संजय कुमार पाण्डेय, अखिलेश कुमार दूबे, अशोक राय सहित आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।
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