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भगवान की कथा सुनने से दूर होती है जीव की व्यथा:पं. अरविंद जी महाराज

वेद व्यास त्रिपाठी

प्रतापगढ़ के कोहड़ौर क्षेत्र के पूरेमुसई गाँव के रहने वाले द्विवेदी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के मालिक पं. रमाकान्त द्विवेदी के आवास पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन कथावाचक पं. अरविंद तिवारी जी महाराज ने परीक्षित मोक्ष, सुदामा चरित्र व कृष्ण-रुकमणी के मिलन व उनके विवाह का प्रसंग सुनाकर पंडाल में उपस्थित भक्तों को भावविभोर कर दिया। 


साथ ही कृष्ण के गरीब मित्र सुदामा के भगवान से मिलने आने का सुंदर वर्णन किया।


सुदामा चरित्र का वर्णन अत्यंत मार्मिक एवं भावपूर्ण ढंग से करते हुए बताया कि कैसे बिना याचना के कृष्णा ने गरीब सुदामा का उद्धार किया और मित्रता निभाते हुए सुदामा की स्थिति को सुधारा।कथा के अंत में श्रीकृष्ण के सशरीर दिव्यलोक पहुंचने का वर्णन भी किया।


श्री शुकदेव जी द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्रीमद्भागवत कथा को पूर्णता प्रदान करते हुए कथा में विभिन्न प्रसंगों का वर्णन अत्यंत सुंदर ढंग से किया गया।


व्यास जी ने कहा कि प्रभु की भक्ति करना ही मनुष्य के जीवन का मूल उदेश्य होना चाहिए।सांसारिक कार्य करने के बाद पश्चाताप हो सकता है, परंतु ईश्वरीय भक्ति साधना, ध्यान व परोपकार के पश्चात पश्चाताप नहीं आनंद व आत्म संतोष की अनुभूति प्राप्त होती है।


16 अप्रैल से चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का समापन हो गया।


शनिवार को हवन एवं रविवार को भंडारे का आयोजन किया गया है।


इस दौरान पंडाल में आद्या प्रसाद तिवारी, पं. इन्द्रदेव तिवारी, भाजपा नेता ओमप्रकाश त्रिपाठी, रामविशाल पाठक, शरद द्विवेदी, धीर जी, विमल मिश्र, धवल द्विवेदी, रामअचल पाठक, रामललन तिवारी, विश्वनाथ तिवारी, बब्बू शुक्ल, माधव पाठक, कल्लू दुबे, विनय चतुर्वेदी, दयाशंकर मिश्र, दद्दन मिश्र, शम्भूनाथ पाण्डेय समेत क्षेत्र के काफी संख्या में भक्तगणों ने पहुंचकर भगवतकथा का आनंद लिया।

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