वेदव्यास त्रिपाठी
प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश में इस वक्त मां गंगा उफान पर हैं इसी क्रम मे संगम नगरी प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों नदियां उफान पर हैं।
दोनों नदियां डेंजर लेवल को पार कर चुकी हैं और अब जबरदस्त तबाही मचाने लगी हैं। डेंजर लेवल पार करने के बावजूद दोनों नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।
आशंका जताई जा रही है कि दोनों नदियों का जलस्तर अभी तीन दिनों तक और बढ़ेगा। नदियों में आए उफान की वजह से अकेले शहरी इलाके के तीन दर्जन से ज्यादा मोहल्लों में बाढ़ का पानी घुस गया है।
लोगों की मदद के लिए एनडीआरएफ की टीमें नावों से गलियों में जाकर रेस्क्यू करते हुए बाढ़ में फंसे हुए लोगों को निकालकर उन्हें सुरक्षित जगहों तक पहुंचा रही हैं।
एनडीआरएफ ने बाढ़ में फंसे 26 लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।शहर में कई रिहायशी बस्तियों में पानी भरा हुआ है। कई रास्ते व सड़कें बाढ़ के पानी में समा गई हैं।
जिन सड़कों पर कुछ दिनों पहले तक वाहन तेजी से फर्राटा भरते थे, वहां अब नावें चल रही है। संगम के आसपास का पूरा इलाका ही बाढ़ के पानी में डूब गया है।
तमाम मठों - मंदिरों व आश्रमों मे बाढ़ का पानी समाया हुआ है। गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाने की कामना के साथ रोजाना प्रयागराज आने वाले हजारों श्रद्धालुओं को अब सड़क पर बह रही गंगा में ही डुबकी लगाकर या आचमन करके मायूसी के बीच वापस जाना पड़ रहा है।
गंगा के किनारे के दारागंज - छोटा बघाड़ा - बड़ा बघाड़ा- करेलाबाग- गौस नगर, सलोरी- गोविंदपुर- शिवकुटी- रसूलाबाद- राजापुर- गंगानगर- अशोकनगर- द्रौपदी घाट- नीवा- जेके कॉलोनी समेत तीन दर्जन से ज्यादा मोहल्ला मोहल्ले तालाब बने हुए हैं।
कई जगहों पर तो मकानों की पूरी एक मंजिल तक डूब गई है। सड़कों और गलियों में नावे चल रही है।
बाढ़ में फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम भी बुला ली गई है। एनडीआरएफ की टीम मुस्तैदी के साथ बाढ़ ग्रस्त इलाकों में जाकर रेस्क्यू करते हुए लोगों को सुरक्षित निकाल रही हैं।
हालांकि शहरी इलाका होने की वजह से बाढ़ में फंसे हुए लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि रास्ता कहीं नजर नहीं आ रहा है और जगह-जगह मकानों का निर्माण हुआ है।
बाढ़ प्रभावित तमाम लोगों ने सुरक्षित जगहों पर शरण ले ली है, जबकि बड़ी संख्या में लोग अभी अपने घरों में ही फंसे हुए हैं।
हज़ारों की संख्या में लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें अपनी गृहस्थी चोरी होने का डर है और वह घर बार छोड़कर कहीं जाने को तैयार नहीं है।
उन्होंने जरूरी सामानों को ऊपर की मंजिल पर शिफ्ट कर दिया है और अब खुले आसमान के नीचे टापू बने घर में रहने को मजबूर है। अब तक करीब 2700 लोग 14 बाढ़ राहत शिविरों में शरण ले चुके हैं।
प्रतापगढ़ तथा प्रयागराज में ग्रामीण इलाकों का हाल तो और भी बुरा है। तकरीबन 50 गांव बाढ़ की वजह से प्रभावित है।
कई गांवों का संपर्क बाहरी दुनिया से कट गया है। ग्रामीणों के आने जाने के लिए प्रशासन ने नावें लगाई हैं।
हालांकि डीएम प्रयागराज संजय खत्री ग्राउंड जीरो पर उतरकर बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं।
उनके साथ शहर उत्तरी से भाजपा विधायक हर्षवर्धन बाजपेई भी एनडीआरएफ की नाव के जरिए बाढ़ में फंसे लोगों को राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं।
डीएम के मुताबिक अभी 3 दिन और जल स्तर बढ़ने की संभावना है। ऐसे में गंगा और यमुना नदियां 86 मीटर का लेवल पार कर सकती हैं।
डीएम ने बाढ़ में फंसे लोगों से अपील की है कि समय रहते सभी लोग सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। उन्होंने कहा है कि बाढ़ ग्रस्त लोगों के लिए आपदा राहत शिविर खोले गए हैं।
लोग आपदा राहत शिविरों में भी जाकर रह सकते हैं। वहां पर लोगों के लिए बिजली, पानी, टॉयलेट सभी इंतजाम किए गए हैं। इसके साथ ही नाश्ते भोजन और बच्चों के लिए दूध का भी इंतजाम किया गया है।
डीएम के मुताबिक जिन क्षेत्रों में पानी भर गया है। वहां पर प्रशासन की ओर से नावें मुहैया कराई गई हैं। वहीं शहर उत्तरी से बीजेपी विधायक हर्षवर्धन बाजपेई ने कहा है कि सरकार बाढ़ प्रभावितों की हर संभव मदद कर रही है ।
उन्होंने कहा है कि हर साल बाढ़ से होने वाली तबाही से बचाने के लिए बांध बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था।
लेकिन उसकी तकनीकी फीजिबिलिटी सही नहीं पाई गई।
उन्होंने कहा है कि अब छोटे छोटे बांध बनाकर बाढ़ के खतरे को कम करने की कोशिश की जाएगी।
बीजेपी विधायक ने कहा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी बाढ़ पीड़ितों की मदद का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा कि पूरी प्रशासनिक मशीनरी बाढ़ पीड़ितों की मदद में लगी है और एनडीआरएफ की भी मदद ली जा रही है।


एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ