रजनीश / ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। नदियों के अस्तित्व पर धर्म और आस्था भारी पड़ रही है। पितृ विसर्जन के मौके पर श्रद्धालुओं द्वारा पॉलीथिन व राख, फूल, मूर्तियां, चित्र आदि विसर्जित किया गया।
जिससे सरयू नदी व आसपास जबरदस्त गन्दगी का अंबार लगा है। नदियों को मां की मान्यता दी जाती है।
एक तरफ जहां नदियों की पूजा की जाती है तथा नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता है। वहीं दूसरी ओर धर्म और आस्था के चलते जीवनदायिनी नदियों का जीवन ही अब संकट में बढ़ता जा रहा है।
इसे लोगों में जागरूकता की कमी या शासन और प्रशासन की लापरवाही कही जाय। रविवार को सुबह से शाम तक करनैलगंज के सरयू नदी के तट पर पितृ विसर्जन का कार्यक्रम चला।
पितृ विसर्जन को लेकर लोगों ने धर्म और आस्था के साथ पूजा पाठ करके पूजा के बाद बचे हुए अवशेषों को नदियों में फेंकना शुरू कर दिया। जिसके कारण नदी गन्दगी के चलते नाले में तब्दील होती दिखाई दी।
सरयू नदी के तट पर पुलिस व प्रशासन की मौजूदगी न होने के चलते बड़ी मात्रा में पूजा पाठ के बचे हुए अवशेषों को नदियों में डाला गया। इस लापरवाही से नदियों के अस्तित्व पर एक बड़ा खतरा दिखाई दे रहा है।
सरयू नदी के तट पर जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग पूजा-पाठ और स्नान करते हैं, उसी सरयू नदी के तट पर सोमवार को भयंकर गंदगी का अंबार देखने को मिला। जिसके कारण जीवनदायिनी सरयू नदी अपने जीवन से संघर्ष करती दिखाई दे रही है।
लोगों का मानना है कि पूजा पाठ के बचे अवशेष को नदियों में डालने की बजाय यदि मिट्टी या नदियों के किनारे डाला जाए तो शायद नदियों में प्रदूषण कम हो और नदियों का अस्तित्व भी सुरक्षित रहे।
इस सम्बंध में एसडीएम हीरालाल ने बताया कि सरयू नदी की गंदगी को साफ करने के लिए बीडीओ को निर्देश दिए जा रहे हैं।
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