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गोण्डा: बीते करीब 8 माह में जिलाधिकारी आवास परिसर में तेंदुआ देखे जाने के बाद हड़कंप मच जाता था। कई बार आवास परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी उसकी तस्वीर कैद हो चुकी है।
लेकिन वन विभाग की टीम उसे पकड़ नहीं पाई। अंततः तेंदुआ वन विभाग द्वारा लगाए गए पिंजरे में कैद हो गया। जिसके बाद वन विभाग ने राहत की सांस लिया।
मुख्यालय पर डीएम आवास की करीब 6 एकड़ की हवेली में सैर सपाटा करने के बाद वन कर्मियों को चकमा देकर तेंदुआ हर बार फरार होने में सफल हो जाता था। शहर के मंडे नाला के पास जिलाधिकारी का आवास स्थित है। अंग्रेजों के जमाने मे बनी जिलाधिकारी की यह हवेली करीब 6 एकड़ में फैली हुई है।
इसमें शीशम सागौन सहित अन्य तमाम प्रकार के वृक्ष तथा झाड़ियों है। बीते करीब दो माह पूर्व डीएम आवास में तेंदुए ने करीब एक हफ्ते परेशान करने के बाद निकल गया था। जिलाधिकारी के आवास में तेंदुआ देखे जाने के बाद वहां तैनात कर्मचारियों में अफरा-तफरी मच जाती थी। तेंदुआ बार-बार जिलाधिकारी आवास के झाड़ियों को अपना शरणालय बना रहा था ।
आवास के आसपास क्षेत्रों में सड़क के उस पार तमाम सरकारी कॉलोनी है। तेंदुआ आने की खबर से कॉलोनी वासी भी भयभीत हो जाते थे। तेंदुए की धरपकड़ के लिए वन विभाग की टीम कड़ी मशक्कत कर रही थी। इनमें फॉरेस्ट गार्ड से लेकर एसडीओ स्तर तक के अधिकारी लगाए गए थे। तैनात सुरक्षाकर्मी रात के अंधेरे में गाड़ी से कांबिंग करते हैं।
इस बार तेंदुए को पकड़ने के लिए सितंबर माह के पहले से ही आवास की झाड़ियों में चार पिंजरे लगाए गए थे। वन विभाग की टीम कांबिंग कर बराबर निगरानी कर रही थी। प्रत्येक पिंजड़े में बकरे भी बांधे गए थे।
इस संबंध में डी एफ ओ आरके त्रिपाठी ने बताया कि तेंदुआ को पकड़ने के लिए बीते कई माह से चार पिंजरे लगाए गए थे। वन विभाग की टीम लगातार तेंदुए की निगरानी भी कर रही थी। बीती रात्रि तेंदुआ एक पिंजड़े में आकर फस गया। सुबह जानकारी होते ही हम लोग मौके पर पहुंच गए।
बीते करीब 8 माह के भीतर कई बार तेंदुआ डीएम आवास परिसर में देखा गया था। उसकी तस्वीर भी बाउंड्री वॉल पर चढ़ते सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी। तब से लगातार निगरानी की जा रही थी। अब उसे सुहेलवा वन रेंज भेजा जाएगा।
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