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सद्मार्ग तथा धर्म के प्रति आस्था ही है जीवन के पुण्य का मूल: देवव्रत जी महराज



कुलदीप तिवारी 

लालगंज, प्रतापगढ़। जलेशरगंज बाजार में हो रही भागवत कथा में सोमवार को श्रद्धालुओं को कथा श्रवण में मंत्रमुग्ध हुए देखा गया। कथाव्यास देवव्रत महराज जी ने कहा कि भक्ति और भगवान सदैव एक दूसरे के पूरक रहे हैं। 


भगवान की कृपा पाने वाला जीव समस्त सुखों और पुण्य का वरण किया करता है। उन्होने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने पाप के विनाश के लिए धर्म के शाश्वत मूल्यों की प्रेरणास्पद संरचना की। 


उन्होनें कहा कि पाप और संताप का हरण भी केवल प्रभु की कृपा निधि मे ही निहित हुआ करती है। आचार्य देवव्रत जी ने श्रद्धालुओं से कहा कि जीवन को यदि सुखमय बनाए रखना है तो जीव पर दया और कमजोर की रक्षा के संकल्प को सदैव आचरण में बदलना होगा। 


उन्होनें प्रभु के सद्मार्ग को ही जीवन के कल्याण का सुगम मार्ग ठहराया। कथा के संयोजक डा. जीतलाल तथा आयोजक मनोज केसरवानी ने कथाव्यास का श्रीअभिषेक किया। 


शंकरलाल केसरवानी तथा रामबाबू केसरवानी व ओमप्रकाश जायसवाल ने सामूहिक कथा का सह संयोजन किया। 


इस मौके पर रामकुमार केसरवानी, मोनू पाण्डेय, लल्ले पाण्डेय, आशीष मोदनवाल, डा. कन्हैयालाल अग्रहरि, रामराज पटवा, भोला पाण्डेय, रामकृष्ण दुबे, फूलचंद्र गुप्ता, डा. प्रमोद गुप्ता, गौरव केसरवानी, विजयचंद्र आदि रहे।

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