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अयोध्या में जन रामायण काव्यार्चन कर लौटी साहित्योदय की टीम



दिग्गज हस्तियों और साहित्यकारों का लगा रहा महाकुम्भ, जनरामायण सहित दो दर्जन पुस्तकों का हुआ विमोचन

वासुदेव यादव 

अयोध्या।साहित्योदय के बैनर तले देश भर के सैकडों साहित्यकार मीठी यादें लेकर वापस लौट गए। 18 से 21 नवम्बर तक पूरी अयोध्या जन रामायण काव्यार्चन में झूमती रही। साहित्योदय के बैनर तले आयोजित श्री राम लला अंतरराष्ट्रीय साहित्योत्सव जन रामायण काव्यार्चन में देशभर के दो सौ से अधिक दिग्गज साहित्यकार, कलाकार, साहित्य प्रेमी और रामभक्तों का महाकुंभ लगा। 18 नवम्बर को राम की पैड़ी में दीपोत्सव से प्रारंभ जन रामायण महोत्सव का समापन 20 नवम्बर की देर रात को हुआ।


अगले दिन 21 नवम्बर को साहित्योदय की टीम रामलला का दर्शन और भ्रमण करने निकली। कार्यक्रम का भव्य समापन हनुमान गढ़ी के महंत राजदास और अयोध्या राजपरिवार के उत्तराधिकारी वरिष्ठ  साहित्यकार यतींद्र मिश्र, डॉ बुद्धिनाथ मिश्र, अजय अंजाम, अयोध्या विधायक वेद प्रताप गुप्ता, उपजिलाधिकारी संदीप श्रीवास्तव और  आचार्य भागवत पाठक की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। 


इस मौके पर सभी रचनाकारों को साहित्योदय सम्म्मनित किया गया। संस्थापक अध्यक्ष पंकज प्रियम ने जन रामायण को परिभाषित करती रचना सुनाते हुए सभी रचनाकारों और अतिथियों का आभार प्रकट किया। 


काव्यार्चन का समापन डॉ बुद्धिनाथ मिश्र ने अपनी बहुचर्चित रचना एक बार और जाल फेंक रे मछेरे से किया। उनसे पहले प्रख्यात कवि अजय अंजाम ने अपनी ओज पूर्ण वाणी से चेतक पर रचना सुना कर पूरे प्रशाल में नव जोश और ऊर्जा का संचार किया। 


चेतक और भारत माता की जय के नारे से वातावरण गुंजायमान हो गया। धन्यवाद ज्ञापन से पूर्व किशोरी भूषण ने भागवत पाठक की अवध पर रचना पढ़कर आयोजन हेतु अयोध्या नगरी के प्रति कृतज्ञता  समर्पित की। 


जानकी महल में  तीन दिनों तक चले इस महाकुंभ का उद्घाटन महंत कमलनयन दास जी ने किया वहीं विमोचन पद्मश्री मालिनी अवस्थी और डॉ उदयप्रताप सिंह ने किया। 


मालिनी अवस्थी ने राम और सीता सोहर से सबको झूमने पर मजबूर कर दिया। उसके बाद देशभर में रचनाकारों ने काव्यपाठ किया। शाम में विजया भारती की संगीतमय प्रस्तुति हुई। 


अयोध्या के जानकी महल में आयोजित इस जन रामायण उत्सव में दुनियाभर के कवि, लेखक, साहित्यकार और कलाकारों ने भाग लिया। इस भव्य आयोजन में 11 सत्रों में 111 नामचीन कवियों द्वारा प्रभु श्रीराम की चरणों में काव्यपुष्प समर्पित किया गया।   


आयोजन में शामिल सभी रचना कारों को महंत राम दास जी तथा साहित्यकार यतींद्र मिश्र व बुद्धिनाथ मिश्र के कर कमलों से साहित्योदय रामरत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। जन रामायण की रचना हेतु पंकज प्रियम को महंत राजू दास ने आधुनिक तुलसी की उपाधि प्रदान की। 


आधुनिक साहित्योदय रामरत्न सम्मान भागवत भूषण पाठक, किशोरी भूषण, ऋतु गर्ग, साधना मिश्र लखनवी, रजनी शर्मा चंदा, डॉ.आरती उपाध्याय, नंदिता माजी शर्मा, राम मणि यादव, सीमा निगम, नीता झा, शुभा शुक्ला, हेमलता मिश्र,राकेश रमण, रश्मि लता मिश्रा सहित 111 रचनाकारों को सम्मानित किया गया।  


साहित्योदय के संस्थापक अध्यक्ष पंकज भूषण पाठक ने बताया कि  नवोदित रचनाकारों को लेकर आरम्भ हुई साहित्योदय की यह यात्रा आज सबके सहयोग विश्व कीर्तिमान बनाती हुई  आगे बढ़ रही है। 


उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा जन रामायण महाकाव्य और महोत्सव को किया गया नामित किया गया है। साहित्योदय द्वारा गत वर्ष 5-6 दिसम्बर  को जन रामायण पर साढ़े 26 घण्टे का ऑनलाइन कवि सम्मेलन कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया जा चुका है।


 साहित्योदय की टीम जन रामायण की अपार सफलता के बाद जन कृष्णायन पर कार्य कर रही है जिसका भव्य विमोचन अगले वर्ष वृंदावन में होगा।

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