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बार का उद्देश्य सदैव वादकारी हित के साथ न्यायपालिका की सुचिता मजबूत बनाने में होनी चाहिये: प्रमोद तिवारी



वेदव्यास त्रिपाठी 

प्रतापगढ़। लालगंज तहसील परिसर में मंगलवार को संयुक्त अधिवक्ता संघ के तत्वाधान में विधिक क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए विधिवेत्ताओं को सम्मानित किया गया।


अधिवक्ता सम्मान समारोह का शुभारंभ राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी तथा कांग्रेस विधानमण्डल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना व शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर किया। 


कार्यक्रम में स्थानीय तहसील एवं दीवानी के अधिवक्ताओं के साथ गौरीगंज, अमेठी, रायबरेली, सुल्तानपुर तथा पडोसी कुण्डा एवं जिला मुख्यालय के भी अधिवक्ताओं का सारस्वत सम्मान खासे आकर्षण मे दिखा। 


बतौर मुख्यअतिथि सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका दुनिया के न्यायिक प्रणाली मे इसलिए सर्वश्रेष्ठ है कि भारत का न्याय पीड़ित को पूर्ण न्याय दिलाये जाने की सर्वश्रेष्ठ क्षमता व पारदर्शिता तथा सुचिता के सिद्धांतो को प्रतिपादित करने में भी पूर्ण सफल व खरा साबित हो रहा है। 


सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि न्याय वही है जो समाज के सबसे कमजोर तबके के अधिकारों की संरक्षा करते हुए लोकतंत्र के मूल्यों को भी संरक्षित करने में सफलता का मापदंड स्थापित कर सके। 


राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने सामाजिक न्याय एवं प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को प्राथमिकता देते हुए अधिवक्ताओं से वकालत के मिशन को निरंतर मजबूत बनाए रखने का भी आहवान किया। 


उन्होनें अधिवक्ताओं से कहा कि वह विधि क्षेत्र में निरंतर अपने ज्ञान की वृद्धि के लिए न्यायिक निर्णयों तथा विधिक ज्ञान से जुडे अध्ययन के प्रति भी निरंतरता बनाये रखे। अध्यक्षता करते हुए क्षेत्रीय विधायक एवं कांग्रेस विधानमण्डल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि न्याय प्रणाली में मजबूती बनाये रखने के लिए अधिवक्ताओं को अपने मिशन के तहत समाज के दुख दर्द के निवारण में बड़ी भूमिका के निर्वहन की आवश्यकता है।


 उन्होनें कहा कि न्याय की सार्थकता तभी है जब वह वादकारी को यह भी एहसास करा सके कि न्याय दिखा ही नही वास्तविकता में न्याय हुआ है। विधायक आराधना मिश्रा मोना ने तहसील तथा दीवानी अदालतो में संसाधनो को लेकर भी स्वयं की ओर से सांसद पिता प्रमोद तिवारी की तरह अनवरत मजबूत प्रयास जारी रखने का भी वकीलों को भरोसा दिलाते हुए स्वयं की विधायक निधि से तहसील परिसर में एक अधिवक्ता शेड के निर्माण कराए जाने की घोषणा की। 


विशिष्ट अतिथि शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी ने कहा कि अधिवक्ता समाज के अधिकार तथा अन्याय एवं अत्याचार के खिलाफ संघर्ष का सजग प्रहरी है। 


उन्होनें भी अपनी विधायक निधि से तहसील में अधिवक्ताओं तथा वादकारियों के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए जाने के लिए विधायक निधि से पांच लाख रूपये अधिवक्ता शेड के लिए दिये जाने का ऐलान किया। 


सिविल जज कुंवर दिव्यदर्शी एसडीएम सौम्य मिश्र तथा सीओ रामसूरत सोनकर, ईओ पदमजा मिश्रा, बीडीओ अश्विनी सोनकर ने भी अधिवक्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। समारोह में विधिक क्षेत्र में योगदान के लिए राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी के दिवंगत ख्यातिप्राप्त अधिवक्ता पिता पं. सरयू प्रसाद तिवारी को संघ की ओर से मरणोपरान्त अलंकरण का सारस्वत सम्मान भी प्रदान किया गया। 


वहीं वकालत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रतापगढ़ समेत जिलों के विशिष्ट अधिवक्ताओं को अतिथियों ने शॉल व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।


 संघ की ओर से अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी महेश व महामंत्री शेष तिवारी ने सांसद प्रमोद तिवारी, विधायक आराधना मिश्रा मोना व शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी तथा प्रशासनिक एवं न्यायिक अफसरों एवं शिक्षाविद् प्राचार्य डा. विनय द्विवेदी व समाजसेवी सुधीर मिश्र, जूनियर बार के पूर्व महामंत्री जेपी मिश्र, रूरल बार के जिलाध्यक्ष अंजनी सिंह बाबा, मकरंद शुक्ला, पूर्व उपाध्यक्ष अशोक सिंह समेत विशिष्ट अतिथियों को प्रतीक चिन्ह एवं अंगवस्त्रम प्रदान कर सम्मानित किया। 


समारोह का संचालन बार के पूर्व अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल एवं विकास मिश्र ने संयुक्त रूप से किया। स्वागत भाषण अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी महेश व आभार प्रदर्शन महामंत्री शेष तिवारी ने किया। कार्यक्रम का संयोजन उपाध्यक्ष शहजाद अंसारी व उपाध्यक्ष बीके तिवारी ने किया। 


समारोह को ब्लाक प्रमुख अमित सिंह पंकज, चेयरपर्सन प्रतिनिधि संतोष द्विवेदी, केबी सिंह, टीपी यादव, शिवाकांत उपाध्याय, देवी प्रसाद मिश्र ने भी संबोधित किया। 


इस मौके पर अजय शुक्ल गुडडू, विपिन शुक्ल, प्रमोद सिंह, बेनीलाल शुक्ल, भास्कर पाल त्रिपाठी, जयकरन सिंह, शैलेन्द्र सिंह, शैलेन्द्र मिश्र, रोशन लाल सरोज, सिंटू मिश्र, संतोष पाण्डेय, सुशील शुक्ल, गीता सिंह, राकेश त्रिपाठी आदि रहे।

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