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धौरहरा में 15 प्रतिशत बच्चों को नहीं मिला ड्रेस का लाभ

 


डीबीटी सिस्टम में त्रुटि बनी वजह , बैंकों के चक्कर लगा रहे शिक्षक व अभिभावक

आयुष मौर्य 

धौरहरा खीरी।जिला खीरी की तहसील धौरहरा क्षेत्र में अभी तक सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 10 से 15 प्रतिशत बच्चों को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल सका है। जिसकी वजह से सर्दी शुरू होते ही ड्रेस,स्वेटर,जूता - मोजा समेत स्टेशनरी बच्चे नहीं खरीद सके है। 


वही जिन बच्चों को योजना का लाभ मिल गया है उनके अभिभावकों ने भी ड्रेस स्वेटर खरीदना मुनासिब न समझकर पैसे भी खर्च कर दिए है। जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।


जिले की धौरहरा तहसील में अधिकतर स्कूलों में अभी भी बच्चों को डीबीटी फीडिंग में त्रुटि व अलग अलग बैंक खातों की फीडिंग,निष्क्रिय हुए खातों की वजह से 15 प्रतिशत बच्चों को सर्दियां शुरू होने के बाद भी सरकारी योजना ड्रेस जूता,मोजा,स्वेटर का लाभ नहीं मिल सका है। 


जिसकी वजह से बच्चे सर्दी में बगैर ड्रेस स्वेटर के ही स्कूल पहुंच रहे है। इस बाबत जानकारी करने पर पता चला कि अधिकतर स्कूलों में डीबीटी फीडिंग में आधार, बैंक खातों में त्रुटि इसकी मुख्य वजह बनी हुई है। जिसके लिये अभिभावकों से लेकर शिक्षक तक बैंकों के चक्कर काट रहे है।



15 प्रतिशत बच्चों को नहीं मिला - ड्रेस,जूते मोजे का लाभ


तहसील के ब्लॉक रमियाबेहड़, धौरहरा व ईसानगर ब्लॉक में विगत सत्र में प्रदेश सरकार द्वारा बच्चों को ड्रेस,जूता,मोजा व स्वेटर खरीदने के लिए अभिभावकों के खाते में सीधे खाते में पैसे भिजवाने की योजना चलाई थी । 


जिसमें करीब 15 प्रतिशत बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पाया। जिसके चलते अब सर्दियां शुरू होने से बच्चे स्कूल में बगैर ड्रेस व स्वेटर जूता मोजा के ही आ रहे है। जिन बच्चों को इसका लाभ नहीं मिला है वह बच्चे तो आज भी अधिकतर स्कूलों में अपने हेड टीचर से पूछते हुए देखे गए कि गुरुजी मेरे पैसे कब आयेगें। 


जिसका उचित जबाब गुरुजी के पास भी नहीं था। वहीं इस बाबत कुछ शिक्षकों ने बताया कि अभिभावकों के खाते में आधार फीडिंग व अभिभावकों के खाता निष्क्रिय होने के चलते पैसा नहीं पहुंचा है यह तहसील ही नहीं पूरे प्रदेश की समस्या है । 


अध्यापकों ने फीडिंग सही करवाने के लिए बैंकों के शाखा प्रबंधकों से सम्पर्क कर उसे सही करवाने को कहा है, व्यवस्था सही होने पर खातों में पैसा पहुंच जाएगा। इसी तरह से रमियाबेहड़ के शिक्षकों ने बताया कि खातों में आधार की फीडिंग बैंकों में न होने की वजह से 15 प्रतिशत बच्चों के खातों में ड्रेस आदि का पैसा नहीं पहुच सका है। उसके लिए शिक्षक प्रयास कर रहे है।


अधिकतर अभिभावकों ने पैसे किये खर्च,कैसे खरीदे ड्रेस


तहसील क्षेत्र में कुछ गावों में यह भी देखने को मिला जहां कुछ अभिभावकों के खातों में पैसे पहुचने के बाद उन्होंने उन पैसों से घर का खर्च चला लिया। 


जिससे मासूम बच्चों की ड्रेस,स्वेटर,जूता मोजा व स्टेशनरी नहीं खरीदी जा सकी। इसके लिए जब शिक्षकों ने अभिभावकों से संपर्क किया तो वह कुछ दिनों बाद ड्रेस जूता मोजा समेत अन्य सामग्री खरीद लेने का अस्वासन देकर अपना पल्ला झाड़ रहे है।



आधार व बैंक खातों में त्रुटि की वजह से नहीं पहुच रहे पैसे


सरकारी स्कूलों में सरकार द्वारा बच्चों के लिए ड्रेस,जूता मोजा,स्वेटर व स्टेशनरी खरीदने के लिए करीब 1200 रुपये अभिभावकों के खाते की व्यवस्था है। शिक्षकों द्वारा बैंक खाते व आधार लेकर ऑनलाइन फीडिंग करवा दी गई। 


पर आधार में त्रुटि व बैंक खातों के निष्क्रिय होने के बारे में ध्यान नहीं दिया गया। जिसकी वजह से करीब 10 प्रतिशत बच्चे इस लाभ को पाने से आज भी वंचित है। वही शिक्षक अभिभावक बैंकों के चक्कर लगाकर हुई त्रुटियों को सही करवाने का प्रयास कर रहे है बावजूद समस्या दूर नहीं हो पा रही है।


क्या कहते है तहसील के ज़िम्मेदार


इस बाबत जब बीईओ धौरहरा आशीष कुमार पाण्डेय से बात की गई तो उन्होंने बताया कि धौरहरा क्षेत्र के 85 प्रतिशत बच्चों को ड्रेस का पैसा मिल गया है,अवशेष की प्रक्रिया चल रही है,जल्द ही उन्हें भी मिलेगा। 


वही रमियाबेहड़ बीईओ हृदय शंकर लाल श्रीवास्तव ने बताया कि उनके ब्लॉक में 37,800 बच्चों को सुविधा का लाभ मिल चुका है शेष करीब 7000 बच्चों को दिलवाने की प्रक्रिया चल रही है। 


एक तरफ जहां अवशेष बच्चों को ड्रेस जूता मोजा,स्वेटर का लाभ दिलवाने की प्रक्रिया चल रही है वही तहसील के एक भी जिम्मेदार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि जिन बच्चों को रुपये मिल गए है उनमें से अधिकतर बच्चों की अभी तक ड्रेस आदि क्यों नहीं बनी।

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