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इस वर्ष विदेश का रुख नहीं कर सकी करनैलगंज की गोभी




रजनीश / ज्ञान प्रकाश 

करनैलगंज(गोंडा)। करनैलगंज की मशहूर सब्जी मंडी से प्रतिवर्ष नेपाल तक जाने वाली गोभी इस वर्ष विदेश का रुख नहीं कर सकी। भारी बरसात एवं गोभी की कम पैदावार की वजह से गोभी गोंडा व आसपास के जिलों तक ही सीमित दिखाई दे रही है। 


करनैलगंज क्षेत्र के 3 गांव में करीब 27 एकड़ खेत में होने वाली गोभी इस बार बाढ़ के पानी में बर्बाद हो गई। इस वर्ष मंडी में भी 50 से 60 रुपये झौव्वा बिकने वाली गोभी  डेढ़ सौ से 200 रुपए में बिक रही है। 


इस वर्ष गोभी की कम पैदावार होने पर गोभी की बिक्री करने वाले लोगों के मुंह से पांच रुपये ढेर, पांच रुपये ढेर की आवाज सुनाई नहीं दे रही है। 



पहले गोंडा-लखनऊ मार्ग के किनारे 5 रुपए में पांच और शाम को गोभी का ढेर बचने पर दो रुपये ढेर की आवाजें सुनाई देती थी। जो इस वर्ष नहीं सुनाई दे रही हैं। इसके अलावा अक्टूबर माह में हुई बारिश व सरयू नदी में आई बाढ़ से खेत, खलिहान, नदी, नाले पूरी तरह से भर गए थे। जिससे खेतों में लगी गोभी पूरी तरह बर्बाद हो गई और प्रतिवर्ष की अपेक्षा इस वर्ष गोभी की पैदावार मात्र 25 फ़ीसदी तक सीमित रही। 


जिससे करनैलगंज से नेपाल को भेजी जाने वाली गोभी की खेप इस वर्ष नेपाल तक नहीं पहुंच पा रही है। सकरौरा ग्रामीण, सकरौरा शहर, करनैलगंज ग्रामीण, करनैलगंज शहर, कादीपुर व करुआ गांव में गोभी की अधिक पैदावार की जाती है। जिसमें करनैलगंज शहर व सकरौरा शहर को छोड़कर 3 गांव के करीब 27 एकड़ खेतों में लगी गोभी पूरी तरह बर्बाद हो गई।



  सब्जी की पैदावार करने वाले किसान शिव नारायन मौर्य का कहना है कि इस वर्ष गोभी का पौधा और खाद के साथ-साथ किसानी पर महंगाई की मार रही। 


वहीं खेतों में बैठाई गई गोभी की फसल में पानी आ जाने की वजह से खेतों में ही सड़ गई। जिससे गोभी की खेती खेती करने वाले किसान अब खेत खाली करके गेहूं याद तिलहन की बुवाई करने लगे हैं। 


गोभी अच्छी पैदावार करने वाले किसान धर्मराज मौर्य कहते हैं कि बरसात और बाढ़ का पानी करीब 3 सप्ताह तक खेतों में जमा होने के कारण गोभी पूरी तरह बर्बाद हो गई। जिसे खेतों में ही जोताई करवा दिया गया। 


सब्जी के आढ़ती सदरूद्दीन कहते हैं कि प्रतिदिन मंडी में उतनी ही गोभी आती है जो क्षेत्र के छोटे-छोटे सब्जी के व्यापारी खरीद ले जाते हैं। अधिक मात्रा में गोभी हमेशा रहती थी वह इस वर्ष नहीं है इसलिए विदेश तक नहीं भेजा जा सका। 


जबकि नेपाल से तमाम फोन आते हैं मगर गोभी कम होने की दशा में नेपाल नहीं भेजी जा सकी। सब्जी की खेती करने वाले रामदेव मौर्या कहते हैं कि इस वर्ष खेत में एक भी गोभी का फूल नहीं निकला और वह भी खेतों में ही पड़ी सड़ गई अन्यथा विदेश तक जाने वाली गोभी खेतों से सीधे लोड करके नेपाल भेज दी जाती थी।

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