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एससीएसटी के आर्थिक पिछडेपन पर संसद में प्रमोद तिवारी ने दागा सवाल, संसद हमले के शहीदों को दी श्रद्धांजलि



कुलदीप तिवारी 

प्रतापगढ़। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने संसद हमले की इक्कीसवीं बरसी पर मंगलवार को संसद भवन मे लोकतंत्र के पवित्र मंदिर की सुरक्षा मे शहीद हुए जाबांज जवानो को पुष्पांजलि अर्पित की। 


प्रमोद तिवारी ने संसद परिसर मे शहीदो की स्मृति में निर्मित स्मारक पर पहंुचकर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि देश की सम्प्रभुता की हिफाजत मे दिल्ली पुलिस तथा संसद सुरक्षाकर्मी व सीआरपीएफ की महिला कांस्टेबल सहित नौ लोगों की शहादत सदैव हमें वीरता भरे इस शौर्य की गाथा याद दिलाती रहेगी। 


श्री तिवारी ने लश्कर ए तैयबा तथा जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन द्वारा संसद पर हमले के प्रयासो को पूरी तरह से नाकाम कर जवानो द्वारा पांचो आतंकियो को ढेर कर दिये जाने के भी शौर्य को अविस्मरणीय कहा है। 


यहां मीडिया को यह जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से जारी विज्ञप्ति मे इधर राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने मंगलवार को राज्यसभा में अनुसूचित जाति व जनजाति के आर्थिक पिछडेपन व उनके शोषण पर सरकार से तीखा सवाल दागा। 


कांग्रेस सांसद ने सरकार से कहा कि आंकडे खुद बता रहे है कि भाजपा राज में दलितो का उत्पीडन बढ़ा है और वह तब जब दलितो पर उत्पीडन के सही सही मुकदमें नही लिखे जा रहे है। 


उन्होने सदन मे उत्तर प्रदेश के सोनभद्र मे गौड समुदाय के ग्यारह लोगों को भूनकर मार डालने और हाथरस मे पीडित दलित युवती के शव को पेट्रोल से जला दिये जाने की घटना का हवाला देते हुए कहा कि इन घटनाओं से सरकार का दावा पूरी तरह थोथा साबित होता है कि यह सरकार दलितो और आदिवासियों के साथ है। 


अरूणांचल के तवांग मे भारत चीन के वास्तविक नियंत्रण रेखा पर फिर एक बार सैन्य झडप को देश के लिए चिंताजनक कहा है। उन्होनें कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की दृढ़ता की कमी के चलते चीन बार बार भारत की तरफ दुस्साहसिक व बेंजा हरकतो की हिमाकत कर रहा है। 


श्री तिवारी ने पीएम से कहा कि वह देश को बताएं कि नौ दिसंबर को चीन के साथ भारतीय जवानो की भिडंत मे बीस जवानो के घायल होने की ताजा स्थिति क्या है। 


वहीं उन्होने भारतीय सेना के जाबांज जवानो के द्वारा सीमा रेखा की सुरक्षा मे चीन को साहसिक जबाब देने को लेकर सैन्य पराक्रम की भी जमकर सराहना की है। श्री तिवारी ने कहा कि सैन्य सूत्र इस झडप को स्वीकार कर रहे है और संसद का सत्र भी चल रहा है फिर भी सरकार की तरफ से आधिकारिक रूप से चीन के तनावपूर्ण हालात पर ब्यौरा साझा नही किया जा रहा है। 


उन्होने मोदी सरकार से कहा है कि वह चीन के द्वारा पहले लददाख और अब तवांग मे जिस तरह से भारतीय सीमा पर लगातार बर्दास्त के बाहर की हरकते की जा रही है उसे देखते हुए वह ढुलमुल रवैये को त्याग कर चीन को कठोरतम लहजे मे कूटनीतिक एवं जरूरी जबाब देने की पहल करे।

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