उमेश तिवारी
काठमांडू / नेपाल:पाकिस्तान के रावलपिंडी में अधिकारियों ने हिंदू और ईसाइयों के घरों को तोड़ दिया है। ये लोग इलाके में पिछले 70 सालों से रह रहे थे।
पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई अल्पसंख्यकों में आते हैं. सूत्रों के मुताबिक, 27 जनवरी को रावलपिंडी के छावनी क्षेत्र में एक हिंदू परिवार, एक ईसाई परिवार और शियाओं के कम से कम पांच घरों को ध्वस्त कर दिया गया था और उनका सामान मोहल्ले की सड़कों पर फेंक दिया गया।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, हिंदू परिवार को पास के ही मंदिर में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा तो वहीं, ईसाई परिवार और शिया परिवार को बिना किसी आश्रय के ही रहना पड़ रहा है। सूत्र बताते हैं कि पीड़ित परिवारों ने अदालत से स्टे ऑर्डर लेने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों ने बल प्रयोग करके उनके घरों को तोड़ दिया।
क्या कहना है पीड़ितों का?
एक हिंदू पीड़ित ने कहा, "वो लोग माफिया हैं और कम से कम 100 लोगों के ग्रुप में आए थे। उन्होंने हमें परेशान भी किया, हम पर हमला भी किया क्योंकि हमने उनका मुकाबला करने की कोशिश की। वे इतने शक्तिशाली हैं कि पुलिस स्टेशन में कोई रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की गई।
पीड़ित ने कहा कि अदालत में भी उनका विरोध करने की कोशिश की लेकिन कैंट के पास रहने वाले एक जज नवीद अख्तर उनका पक्ष लेते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास सभी कागज हैं क्योंकि हम यहां पिछले 70 सालों से रह रहे हैं। उनके पास तो कागज भी नहीं हैं। हमें नोटिस थमा दिया गया और सामान संभालने तक का वक्त नहीं दिया। अब मंदिर में शरण लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
अल्पसंख्यक कर रहे उत्पीड़न का सामना
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक पिछले कई दशकों से उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। देश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर सरकार, पुलिस और यहां तक कि न्यायपालिका भी मूकदर्शक बनी हुई है।
एएनआई से बात करते हुए, पाकिस्तान के एक विशेषज्ञ, डॉ अमजद अयूब मिर्जा ने कहा, "पाकिस्तान में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न कुछ ऐसा नहीं है जो हमारे लिए नया है।जब से हिंदुस्तान को विभाजित करके धर्म के नाम पर बनाए गए इस अवैध और नकली देश की स्थापना की गई है तब से हमने हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों के उत्पीड़न को देखा है।
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