वासुदेव यादव
अयोध्या। अवध धाम में मां सरयू के पावन तट पर सुशोभित सिद्ध संत जानकी शरण उर्फ झुन झुनिया बाबा द्वारा स्थापित सिद्धपीठ सियाराम किला झुनकी घाट मंदिर में परंपरागत मकर संक्रांति के अवसर पर ठाकुर जी की विशेष पूजा आराधना की गई।
सूर्य भगवान के उत्तरायण होने पर सूर्य भगवान की भी विशेष आराधना पूजा की गई। इस अवसर पर भगवान को मैथिली परंपरा के अनुसार चूड़ा दही साग और तिलकुट का भोग लगाया गया। वर्तमान पीठाधीश्वर महंत करुणा निधानशरण महाराज ने बताया कि खरमास के बाद 14 व 15 जनवरी को सूर्य भगवान मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
सनातन परंपरा के अनुसार यह माना जाता है कि जब सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। तभी से शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। इस अवसर पर भगवान के पूजन अर्चन के साथ सूर्य भगवान की भी आराधना की जाती है और दही चूड़ा साग के साथ तिलकुट का भगवान को भोग लगाया जाता है। और सभी भक्तों में प्रसाद वितरण किया जाता है।
उन्होंने बताया कि यह परंपरा मंदिर स्थापना काल से ही चली आ रही है कि मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष पूजन अर्चन के साथ अयोध्या के साथ-साथ मंदिर परंपरा से जुड़े सभी श्रद्धालु भक्तों व सनातन परंपरा में अनुराग रखने वाले लोगों को प्रसाद वितरण किया जाए।
उन्होंने बताया कि माघमास में तिल के सेवन से मनुष्य स्वस्थ रहता है। इसी परंपरा को देखते हुए हमारे पूर्वजों और मनीषियों ने ठंड के मौसम में मकर संक्रांति के अवसर पर तिल का विशेष महत्व बताया है। इस दिन मंदिर परिसर में दही चूड़े के साथ तिलकुट का प्रसाद वितरण किया जाता है।
श्री महाराज जी ने बताया कि अयोध्या में आने वाले सभी भक्तों को मकर संक्रांति के अवसर पर प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर मंदिर के व्यवस्थापक विकास कुमार, पहलाद शरण एवं अन्य सदस्य मंदिर में आए सभी भक्तों का स्वागत सत्कार किया।
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