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मनकापुर कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा मसूर फसल पर प्रक्षेत्र दिवस आयोजित


कृष्ण मोहन 

गोण्डा:आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा द्वारा आज दिनांक 4 मार्च 2023 को विकासखंड मनकापुर के ग्राम महेवा नानकार में मसूर प्रजाति केएलएस 09-3 पर प्रक्षेत्र दिवस आयोजित किया गया । प्रक्षेत्र दिवस पर किसान गोष्ठी का शुभारंभ डॉक्टर पीके मिश्रा प्रभारी अधिकारी कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा द्वारा किया गया । उन्होंने फसल चक्र में दलहनी फसलों के समावेश को बहुत जरूरी बताया । दलहनी फसलें वायुमंडलीय नत्रजन का स्थिरीकरण कर पौधे को नत्रजन उपलब्ध कराती हैं । जिससे फसल को अलग से नत्रजन देने की आवश्यकता बहुत कम होती है । दलहनी फसलों का फसल चक्र में समावेश करने से भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है । डा. रामलखन सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान ने मसूर प्रजाति केएलएस 09-3 की विशेषताओं से परिचित कराया । यह एक उन्नतशील प्रजाति है । इसमें उकठा रोग नहीं लगता है । दाने मध्यम आकार के होते हैं । इसकी बुवाई कर किसान भाई खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं । रबी में बोई जाने वाली दलहनी फसलों में मसूर का एक विशेष स्थान है । इसकी बुवाई अक्टूबर माह में की जाती है । मसूर फसल में उकठा रोग फ्यूजेरियम नामक कवक के कारण होता है ।  इसकी रोकथाम के लिए सभी दलहनी फसलों में उन्नतशील प्रजाति की बुवाई करें । बुवाई से पूर्व बीज को ट्राइकोडरमा पाउडर से उपचारित करें । ट्राइकोडर्मा पाउडर की 4 ग्राम मात्रा को प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर बुवाई की जाती है  । ट्राइकोडरमा पाउडर का प्रयोग भूमि शोधन में करने के लिए इसकी एक किलोग्राम मात्रा को 60 से 70 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर एक सप्ताह रखने पर जब फफूंदी उत्पन्न हो जाए तब  इसे  एक एकड़ खेत में खेत की तैयारी करते समय मिला देना चाहिए । इससे भूमिजनित बीमारियां नहीं लगती हैं । फसल का उकठा रोग से बचाव होता है । डॉ. मनोज कुमार सिंह उद्यान वैज्ञानिक ने नये बागवानी फसलों, सब्जियों के साथ मसूर की सहफसली खेती की जानकारी दी । डा. मनीष कुमार मौर्य सुरक्षा वैज्ञानिक ने एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन के अंतर्गत खरपतवार प्रबंधन एवं जैव नियंत्रकों के प्रयोग को जरूरी बताया ।  खरपतवार कीड़े एवं बीमारियों के कारक को शरण देते हैं । इनका प्रबन्धन बहुत जरूरी है । उन्होंने कीट एवं बीमारियों के प्रबंधन के लिए नीम उत्पादों, दशपर्णी अर्क, ब्रह्मास्त्र, गौ उत्पादों के बनाने व प्रयोग की जानकारी दी । डॉक्टर दिनेश कुमार पांडेय ने दलहनी फसलों को स्वास्थ्य एवं पोषण की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी बताया । उन्होंने बताया कि दालों को नियमित भोजन में शामिल करना चाहिए । इससे प्रोटीन की अच्छी मात्रा प्राप्त होती है । प्रक्षेत्र दिवस के अवसर पर परशुराम शुक्ला, मिश्रीलाल, इंद्रभान, अजय सिंह, राजू कुमार यादव, अयोध्या प्रसाद आदि ने प्रतिभाग कर खेती संबंधी तकनीकी जानकारी प्राप्त की । इस अवसर पर प्रतिभागी कृषकों को  ग्राम महेवा नानकार में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा लगवाए गए अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन मसूर प्रजाति केएलएस 09-3 की फसल को दिखाया गया । फसल को देखकर किसान अत्यंत प्रभावित हुए ।

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