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नवाबगंज:देवी भागवत में महिसासुर का वध की कथा सुन हर्षित हुए श्रद्धालु



पं श्याम त्रिपाठी/ बनारसी मौर्या 

नवाबगंज (गोण्डा) क्षेत्र के महंगूपुर गाँव में चल रही संगीतमय श्रीमद देवी भागवत कथा में कथा व्यास पं राजेश शास्त्री ने महिसासुर वध कि कथा सुनाई।महिषासुर वध का दृष्टांत सुनाते हुए कथा व्यास ने कहा कि देवताओ की स्तुति पर माता आदिशक्ति ने प्रसन्न होकर चंडिका रूप में अवतरित होकर महाशक्तिशाली राक्षस महिसासुर से युद्ध प्रारम्भ किया। 


रण भूमि में देवी के अट्टाहस मात्र से हजारों राक्षसों कि मृत्यु हो गयीं। हजारों राक्षसों को देवी के वाहन सिंह ने अपने वार से निस्तेज कर दिया लेकिन महा अभिमानी दैत्य ने मृत्यु निकट जानकर भी देवी से युद्ध को आतुर हो सिंह का रूप धारण कर लिया और गर्जना करते हुए देवताओ को डराने लगा तब देवी ने चक्र से उस महाभिमानी का सर धड़ से अलग कर दिया।


युद्ध भूमि में रक्त कि नदी बहने लगी।महिसासुर का अंत होने पर देवताओं ने प्रसन्न होकर दुंदुभी बजाई।नाग, किन्नर, यक्ष, ऋषि-मुनियों और देवी-देवताओं ने पुष्प वर्षा करते हुए देवी कि वंदना की।कथा व्यास ने कहा कि सत्य बोलो लेकिन प्रिय बोलो। जब कोई आपकी प्रशंसा करता है तो अपने मन को संभालना चाहिए। 


युधिष्ठिर को अभिमान हुआ इसी कारण से उसका यज्ञ विफल हुआ। समर्पण भाव से निष्काम भाव से यज्ञ करना चाहिए। मनुष्यों के लिए बलि विधान नहीं है। आप जैसी आराधना करते हैं वैसे ही स्वभाव हो जाता है। भगवती रण चंडिका के उग्र चित्र को नहीं लगाना चाहिए। 


दूषित भावना से दिया गया बलि विधान लोगों कि लिए हानिकारक है। वैकल्पिक बलि देना ज्यादा श्रेयस्कर है नारियल बलि देना चाहिए। माता तो हर हाल में प्रसन्न् होती है। कथा में राजेश पाण्डेय, गुल्लन पाण्डेय, लल्लन पाण्डेय, अमरनाथ पाण्डेय, करुणाकर पाण्डेय, विनीत मिश्रा, रामप्रताप पाण्डेय, जगदेव पाण्डेय सुभम, कपिल, गोलू, अंकित आदि लोग रहे.

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