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डिजिटल मीडिया के पत्रकारों के हक और हुकूक के लिए जेसीआई ने भरी हुंकार



30 मई को डिजिटल सम्मान पत्र से संगठन करेगा पत्रकारों को सम्मानित

रविवार 21 मई 2023, आज जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों के मध्य डिजिटल मीडिया के पत्रकारों की विवादित स्थिति को लेकर एक एक वर्चुअल मीटिंग का आयोजन किया गया।



वर्चुअल मीटिंग में सर्वप्रथम राष्ट्रीय संयोजक डॉ आर सी श्रीवास्तव द्वारा सरकार के एसओपी के तहत डिजिटल मीडिया के पत्रकारों के साथ सौतेला व्यवहार करना क्या स्वस्थ लोकतंत्र में पत्रकारों की आवाज दबाने जैसा नहीं है। 



इस मुद्दे पर बोलते हुए जेसीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि सर्वप्रथम तो सरकार को यह बताना चाहिए कि सरकार द्वारा पत्रकारिता के लिए क्या मानक निर्धारित किए गए हैं और क्या वह आज की तारीख में आदर्श मानक के रूप में स्थापित होते हैं। 



आज वेव मीडिया के पत्रकार भ्रम की स्थिति मे है जहां सरकार एक ओर इन्हे श्रमजीवी पत्रकार मान रही है वही इनको सरकारी तंत्र फर्जी पत्रकार बता रहा है।



संस्था के वरिष्ठ राष्ट्रीय पदाधिकारी अशोक झा ने कहा कि आज जबकि डिजिटल मीडिया जब लोगों के दिलों पर राज कर रही है तब सरकार द्वारा इस तरह का कदम उठाया जाना कहीं से भी उचित नहीं है।



अपने विचार रखते हुए प्रदेश सलाहकार समिति के वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र पांडे ने कहा कि सरकार को आज नए सिरे से पत्रकार और पत्रकारिता से संबंधित कानूनों की समीक्षा करनी चाहिए ताकि पत्रकारों को उनका वास्तविक हक मिल सके।



इस अवसर पर अपना पक्ष रखते हुए प्रदेश सलाहकार समिति के वरिष्ठ पत्रकार सचिन श्रीवास्तव ने कहा कि आज जब पत्रकार हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहे हैं।



 तब उच्च पदस्थ लोगों को घबराहट होने लगी है और इसीलिए डिजिटल मीडिया के पत्रकारों का उत्पीड़न किया जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार राजेश पांडे ने कहा कि सरकार को बरसों पुराने कानून की समीक्षा करते हुए पत्रकारों को उनका हक देना चाहिए। 



डॉ आर सी श्रीवास्तव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज मीडिया का स्वरूप पूरी तरीके से बदल गया है परंतु सरकार वहीं 1967 के नियमानुसार अपना कार्य कर रही है जिस में संशोधन करना अति आवश्यक है।



सबसे विचार-विमर्श करके निष्कर्ष निकाला गया कि देश के प्रधानमंत्री एवं सूचना एवं प्रसारण मंत्री को संगठन उक्त समस्याओं से अवगत कराते हुए यह भी मांग करेगा कि आज जबकि कागज और स्याही की कीमतें आसमान छू रही हैं और छोटे अखबार अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं ।



ऐसी स्थिति में ई पेपर, डिजिटल मीडिया आदि को नियमों में संशोधन करते हुए पंजीकृत मीडिया का दर्जा दिया जाए अन्यथा पत्रकार जो कि आज करोड़ों में है अपने हक और हुकूक की लड़ाई के लिए दो-दो हाथ करने को मजबूर होंगे।



मीटिंग के दौरान सहारनपुर से अम्मार आब्दी ,संत कबीर नगर से राघवेंद्र त्रिपाठी,बरेली से शिवजी भट्ट ने भी हिस्सा लिया।

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