1 जून 2001को नेपाल राजदरबार के इस जघन्य हत्याकांड से दहल गई थी पूरी दुनिया
उमेश तिवारी
काठमांडू : आज से ठीक 22 साल पहले 1 जून 2001 को पूरा नेपाल क्या पूरी दुनिया दहल गई जब ये खबर आई कि नेपाल के युवराज दीपेंद्र ने अपने मां-बाप के अलावा परिवार के 09 लोगों को गोलियों से उड़ाकर खुद को भी गोली मार ली। हालांकि इस पूरे मामले के इर्द-गिर्द अब भी रहस्य की ऐसी चादर लिपटी है, जो सुलझ ही नहीं पाई। और लगता भी नहीं कि ये हत्याकांड कभी सुलझ पाएगा।
बताते चलें कि आज से 22 साल पहले 01 जून 2001 का दिन नेपाल के इतिहास में ऐसा रक्तरंजित रहा कि हर कोई दहल गया। उस दिन नेपाल के राजा और रानी के अलावा राजपरिवार के 09 लोगों की हत्या कर दी गई।
ऐसा करने वाले थे खुद राजपरिवार के युवराज। लेकिन इसके बाद इस हत्याकांड से जुड़ी कई थ्योरीज और रहस्य इर्द-गिर्द घूमते रहे लेकिन सुलझ कभी नहीं पाए। कोई यह समझ नहीं पाया कि नेपाल राजघराने में उस हत्याकांड के पीछे किसका हाथ था, जिसमें राजा वीरेंद्र समेत पूरी रॉयल फैमिली खत्म हो गई।
क्या ये हत्याकांड प्यार की वजह से हुआ या फिर इसके पीछे विदेशी ताकतों का हाथ था। या फिर नेपाल में किसी अंदरूनी साजिश का परिणाम। आखिर क्या था रॉयल फैमिली हत्याकांड के पीछे का सच। हत्याकांड के पीछे की कितनी वजह हो सकती हैं, जानिए यहां।
राजपरिवार की कलह
प्रिंस दीपेंद्र को मां यानी नेपाल की रानी ऐश्वर्या ने शादी के बारे में बात करने के लिए बुलाया। रानी ऐश्वर्या ने कहा कि वह प्रिंस की शादी के लिए दुल्हन का चुनाव कर रही हैं।
इस पर प्रिंस दीपेंद्र ने कहा कि वह अपनी मर्जी की लड़की से शादी करना चाहता है। तो एक पल के लिए ऐश्वर्या का माथा ठनका। ऐश्वर्या ने उस लड़की के बारे में जब पूछा तो प्रिंस के जवाब से नाराज होकर साफ शब्दों में इस शादी से इनकार करते हुए चली गईं।
प्रिंस दीपेंद्र को आभास तो था कि उनकी मर्जी पर ऐतराज होगा लेकिन इतना सख्त होगा, यह उम्मीद नहीं थी। प्रिंस ने अपनी मां को मनाने का निश्चय किया।
एक दिन फिर प्रिंस मां के पास पहुंचा और शादी के बारे में बात करना चाहा तो ऐश्वर्या ने फिर इनकार करते हुए कहा कि उसके लिए दुल्हन उन्होंने चुन ली है। इस बार प्रिंस दीपेंद्र नाराज हो गया और यह बोलकर वहां से चला गया कि वह शादी करेगा तो देवयानी से ही।
मां-बेटे के बीच इस बात को लेकर जैसे एक जंग छिड़ चुकी थी। कुछ वक्त के बाद ऐश्वर्या ने कहा कि उन्होंने जो लड़की प्रिंस के लिए चुनी, वह राजमाता रत्ना की बहन के खानदान की थी यानी राजघराने की।
राजघराने में अगर दुल्हन आएगी तो प्रतिष्ठित राजघराने से ही। दीपेंद्र ने कहा कि देवयानी भी राजघराने की थी, तो ऐश्वर्या बिगड़ गईं और कहा कि उनके घराने की आन बान शान में वह लड़की फिट नहीं होती।
इधर, दीपेंद्र और देवयानी दोनों को उम्मीद थी कि शादी की संभावना खत्म नहीं हुई। इस बीच, दीपेंद्र ने अपने देश नेपाल के सुरक्षा विभाग के लिए हथियारों और अन्य उपकरणों की एक डील का प्रस्ताव रखा और अपना सुझाव भी। दीपेंद्र के इस प्रस्ताव को दीपेंद्र के पिता और नेपाल के राजा वीरेंद्र ने दर किनार करते हुए इससे उलट अपने फैसले को तरजीह दी। दीपेंद्र को यहां भी मायूसी हाथ लगी।
नेपाल में कई लोग विश्वास नहीं करते थे कि प्रिंस दीपेंद्र ने ही हत्याकांड को अंजाम दिया। न कुंडलियां मिलीं और न रानी का मन बदला।
एक दिन दीपेंद्र अपनी और देवयानी की कुंडलियां लेकर ऐश्वर्या के पास गया और बोला कि शादी करेगा तो देवयानी से ही, भले ही माता-पिता की इच्छा हो या नहीं। ऐश्वर्या ने दोनों की कुंडलियों का मिलान करवाया तो एक ज्योतिषी का कहना था कि अगर प्रिंस दीपेंद्र 35 साल की उम्र से पहले पिता बनेंगे तो महाराज की मृत्यु तक हो सकती थी।
दीपेंद्र और देवयानी का रिश्ता कायम था। दीपेंद्र ने भरोसा दिला रखा था कि शादी उसी से करेगा। फिर एक दिन ऐश्वर्या ने साफ कह दिया कि देवयानी जिस सिंधिया खानदान से है, वो पुणे के पेशवाओं की नौकरी करते थे इसलिए वो शाही खानदान के मुकाबले कुछ नहीं हैं।
दीपेंद्र ने कहा कि प्रिंस निरंजन की शादी तय करते वक्त तो यह नहीं सोचा गया। ऐश्वर्या बिगड़ गईं और दीपेंद्र को तमीज से बात करने के लिए कहा।दीपेंद्र ने शाम से ही नशा करना शुरू कर दिया था।
ऐश्वर्या और प्रिंस दीपेंद्र दोनों अपनी जिद पर अड़े रहे। इसी बीच, दीपेंद्र का राजनीतिक दखल और उसके पिता के फैसले भी एक-दूसरे के उलट ही साबित हो रहे थे। साल 2001 में जून के महीने का पहला दिन था।
दीपेंद्र हर तरफ से मायूस था और जल्द ही कोई फैसला चाहता था। इसी दिन राजमहल में फैमिली डिनर का आयोजन था। मौका था सबके सामने किसी नतीजे पर पहुंचने का। लेकिन नतीजा कुछ और ही निकला।
दीपेंद्र ने शाम से ही नशा करना शुरू कर दिया था और बेकाबू हो गया था। सबकी मौजूदगी में मां और पिता पर चीखा-चिल्लाया तो कुछ रिश्तेदार उसे कमरे में छोड़ आए। अपने कमरे में पहुंचने के बाद दीपेंद्र ने देवयानी से फोन पर बात की तो बस यही कहा कि अब वह सोने जा रहा है।
थ्योरी 1 : दीपेंद्र कमरे से निकला तो आर्मी के जवान की तरह और घातक हथियारों से लैस होकर। फिर गैदरिंग हॉल में पहुंचकर धड़ाधड़ गोलियां बरसाते हुए दीपेंद्र ने अपने माता-पिता समेत राजपरिवार के नौ लोगों को मौत के घाट उतार दिया और खुद को भी गोली मार ली।
नेपाल के प्रतिष्ठित घराने के पशुपति शमशेर जंग बहादुर राणा और उषाराजे सिंधिया की बेटी देवयानी को यह खबर मिली तो उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई। नरसंहार के अगले ही दिन देवयानी ने नेपाल छोड़ दिया और भारत चली आई। अब जानिए कि इस नरसंहार से जुड़ी और कहानियां जो समय के साथ सामने आईं।
थ्योरी 2 : राजमहल में हुए नरसंहार के 8 साल बाद यानी 2009 में तुल बहादुर शेरचन सामने आया और उसने कहा कि उस हत्याकांड का जिम्मेदार वह था। एक रिपोर्टर के साथ मुलाकात में नाटकीय और संदेहास्पद ढंग से शेरचन ने यह खुलासा किया था।
थ्योरी 3 : हत्याकांड के समय के दौरान नेपाल के विदेश मंत्री रहे चक्र बहादुर बास्तोला का कहना था कि हत्याकांड के पीछे पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोईराला को भी मारने की साजिश थी। चक्र बहादुर के मुताबिक कोईराला की कार पर हमला हुआ था। चक्र ने इसे एक बड़ी साजिश करार दिया था।
थ्योरी 4 : पेशे से पत्रकार रहे कृष्णा अबिरल ने रक्तकुंड उपन्यास लिखा। कृष्णा ने राजमहल की एक महिला कर्मचारी के साथ इंटरव्यू किए जो रानी की सेविका थी। इस उपन्यास में लिखा गया कि दीपेंद्र के भेस में दो नकाबपोश आदमियों ने गोलियां बरसाईं। ये दो नकाबपोश कौन थे? यह रहस्य अब तक सुलझा नहीं है।
थ्योरी 5 : नेपाल के तत्कालीन राजा बीरेंद्र के छोटे भाई ज्ञानेंद्र उस रात महल में मौजूद नहीं थे। हत्याकांड में बीरेंद्र की तरफ के रिश्तेदार मारे गए लेकिन ज्ञानेंद्र की तरफ के रिश्तेदार बच गए। इसके बाद आरोप लगाया गया कि ज्ञानेंद्र राजा बनना चाहते थे और गद्दी हथियाने के लिए हो सकता है कि षडयंत्र उन्होंने ही रचा हो।
थ्योरी 6 : नेपाल नरेश वीरेंद्र की हत्या के नौ साल बाद नेपाल के पूर्व पैलेस मिलिट्री सेक्रेट्री जनरल विवेक शाह ने एक किताब लिखी ‘माइले देखेको दरबार’और दावा किया कि निर्मम हत्याकांड के पीछे कोई विदेशी साजिश हो सकता है। शाह के अलावा नेपाल के माओवादी नेता पुष्प कमल दहाल ने भी उस समय दावा किया था कि इस हत्याकांड की साजिश विदेश में रची गई।
थ्योरी 7 : नारायणहिति राजमहल के परिसर में खतरनाक हथियारों से लैस सुरक्षा गार्ड बड़ी संख्या में मौजूद रहते हैं। थ्योरी रही कि उनमें से कोई हत्याकांड के पीछे हो सकता था। इसके अलावा डॉक्टरों पर शक किया गया। सिर में गोली लगने के बाद प्रिंस दीपेंद्र 1 जून 2001 की रात से अस्पताल में तीन दिन कोमा में रहा। 3 दिन बाद मौत हुई लेकिन पोस्टमार्टम नहीं किया गया।
थ्योरी 8 : शाही परिवार की हत्या के वक्त नेपाल राजपरिवार के प्रिंस पारस की भूमिका पर उंगली उठी थी। जब हादसा हुआ राजकुमार पारस शाही महल में मौजूद था लेकिन उसे खरोंच तक नहीं आई। पहले भी कई मामलों में बदनाम पारस के मिजाज, करतूतों और अतीत को देखकर पारस पर शक किया गया।
थ्योरी 9 : इनके अलावा एक और थ्योरी कुछ वक्त के लिए चर्चा में रही थी, सेल्फ बॉम्बिंग। कहा गया था कि इस हत्याकांड के पीछे मानव बम का धमाका हो सकता था। इन तमाम थ्योरीज के चलते सच का खुलासा नहीं हुआ। अलबत्ता कुछ सवाल जरूर खड़े होते रहे।
पूरी घटना के दौरान राजमहल के एडीसी अपने कमरे से बाहर क्यों नहीं निकले? नेपाल के राजमहल के सुरक्षाकर्मी गोलियां चलने की आवाजों के बावजूद वहां क्यों नहीं पहुंचे? और तमाम थ्योरीज पर क्या जांच हुई, क्या नतीजे निकले।
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