अखिलेश्वर तिवारी
मेहनवन वासिनी देवी सर्व कार्य विधायिनी॥पटमेश्वरी जगन्मात: लोकानां वरदा भव ।।
माँ पटमेश्वरी देवी मंदिर मेहनवन जनपद गोण्डा के भव्य निर्माण के पावन स्मरणीय दिवस 6 दिसम्बर 2014 दिन शनिवार समय 12-15 बजे अभिजित मुहूर्त में तत्कालीन विधायक मेहनवन नंदिता शुक्ला के प्रशंसनीय प्रेरणा एवं कुशल नेतृत्व में रामानन्द तिवारी निर्माण प्रभारी द्वारा पूर्ण रूप से मंदिर निर्माण प्रस्ताव प्रति उपस्थित जनो के प्रवल आर्थिक समर्थन व सहयोग से निर्माण गोष्ठी सम्पन्न हुआ था । परिणाम स्वरूप (6दिसम्बर 2014 से 30मई 2016 तक ) गर्भगृह सहित भब्य देवी मंदिर निर्माण, शिवमंदिर निर्माण, यज्ञशाला, मूर्ति स्थापना, महापूजन कथा भब्य भण्डारा में लोगों द्वारा प्राप्ति चन्दा व अनुदान राशि द्वारा ही 19,38522 रु०व्यय होकर भब्य निर्माण पूर्ण हुआ ।
जानकारी के अनुसार पूर्व में माता जी वन लताओं से घिरी एक गुफा में पिण्डी के रुप विराजमान होकर भक्तो का रही कल्याण करती रही। जनश्रुति के अनुसार मेहनवन का आततायी राजा कनीजवाकड़ मेहनवन गुफा मार्ग से जाने वाली नवविवाहिता की डोली का अपहरण करके अपराधीकृत्य करता रहा । दुष्ट शासक के अतंक से जनमानस की संस्कृति-सम्मान की रक्षा एवं भक्तो के कल्याण-रक्षा हेतु माता जी नव विवाहिता के रूप मे डोली पर आरूढ़ होकर उसी मार्ग से जा रही थी तो आततायी राजा ने डोली हरण किया । माता जी दिब्य रूप में आकर आततायी राजा का बध कर अदृश्य होकर उसी गुफा में पिण्डी रूप में विराजमान होकर भक्तो का कल्याण करने लगी । माता जी के प्रेरणा से क्षेत्रीय जनो ने मृत दुष्ट राजा के शव को उसी स्थान पर मिट्टी में दफन करके उसके उपर सुअर की बलि देने लगे जो परम्परा काफी दिनो तक चलता रहा । ब्रह्यर्षि डाँ राम विलास वेदान्ती पूर्व सांसद अयोध्याधाम के अध्यात्मिक मतानुसार
सत्यं सार्थ महादेवं मेहनवन समुपस्थितम् ॥रात्रिमेकं मुषित्वाच जगाम कुम्मजाश्रमम् ॥
कैलासपर्वत से माता सती जी के साथ भगवान शिव जी श्रीराम कथा श्रवण हेतु अगस्त्य ऋर्षि आश्रम प्रयागराज में जा रहे थे तो मार्ग में माँ फ्टमेश्वरी मेहनवन की पावन गुफा में एक रात्रि विश्राम किये रहे तव इस पावन स्थल गुप्तेश्वरी देवी नाम से विख्यात हुआ उनके नाम से आज ईश्वरनन्द कुटी पर भब्य द्वार निर्मित है । मान्यता है कि जो भक्त सोमवार=शुक्रवार को सूर्योदय पूर्व मंदिर में माता जी का पूजन करता हैं उसका मनोकामना पूर्ण होता है॥
भव्य मंदिर निर्माण कैसे पूर्ण हुआ
6 दिसम्बर 2014 से पूर्व मंदिर में नीव से पिलर-खम्बे का कार्य क्षेत्रीय लोगों एवं दर्शनार्थ भक्तो के सहयोग तथा केशवराम शुक्ल का भी सहयोग सराहनीय रहा देवेन्द्र मिश्रा के देखरेख में मंदिर का लगभग 25 प्रतिशत कार्य सम्पन्न हुआ था । 23 नवम्बर 2014 को देवेन्द्र मिश्रा एवं राजू तिवारी मेरे (पं०रामानन्द तिवारी ) दुकान जमुनागंज आये और आग्रह किया अव शेष मंदिर निर्माण का कार्य पूर्ण करवाने में आप स्वयं तत्कालीन विधायक नंदिता शुक्ला से चर्चा कर पूर्ण करवाया जाय । नन्दिता जी के अध्यक्षता में 6 दिसम्बर 2014 को वैठक में रामानन्द तिवारी निर्माण प्रभारी के दायित्व में उपस्थित लोगों से सहयोग का पूर्ण समर्थन किया । स्वयं नन्दिता शुक्ला ने सर्वं प्रथम 51,000 धनराशि प्रदान किया । निर्माण पूर्ण होने तक लगभग 5 लाख का सहयोग रहा तथा उनके प्रेरणा से लगभग 50 सदस्यो ने 5,10,21,51, हजार के रूप में रुहयोग दिया । विशेष रुप से राजेन्द्र पाण्डेय, रिंकूपाण्डेय, बब्वलू दूवे, परमानन्द श्रीवास्तव, जनार्दनपाण्डेय, अरविन्द श्रीवास्तव, संजय मिश्रा, बब्बूशुक्ल दतौली, श्रवण तिवारी, राजकुमारसिंह प्रधान, राकेश शुक्ल, आशीषपाण्डे, डी०के०, अशोक दूवे, मलखानसिंह, सोनूसिंह, वीरेन्द्रसिंह, पुत्तन शुक्ल सहित तमाम गणमान्य नागरिकों ने नंदिता शुक्ला का प्रस्ताव क्रम पहले जगतपिता शिव जी का मंदिर निर्माण होकर प्राण प्रतिष्ठा समारोह मे शिवपरिवार मूर्ति स्थापना समारोह दि० 29 ज्रून 2015 को डाँ राघवेश वेदान्ती जी महाराज के नेतृत्व मे 5 पण्डितो ने पूजन स्थापना कर चन्द्रेश्वर नाथ शिव मंदिर में हवन पूजन के साथ सम्पन्न हुआ,नित्य पूजन हेतु सोनपुर के गिरिबाबा को नियुक्त किया गया । स्मरण हो कि माता जी का भब्य मंदिर निर्माण चारहजार square feet का छत सहित भूमि से 11 फिट का गर्भ गृह का भब्य निर्माण होकर गर्भ गृह में दिब्य मूर्ति महालक्ष्मी-महाकाली तथा मध्य मे माँ पटमेश्वरी की दिब्य मूर्ति 3फिट 1 इंच 1,85000 वेयतनाम मार्वल से निर्मित कीमती अलौकिक देवी जी का विग्रह एवं बालाजी हनुमान जी का का विग्रह मूर्ति राजस्थान से लाया गया था शेष नौ दुर्गा,अन्नपूर्णा,भैरवनाथ आदि दिव्य विग्रह मूर्ति श्री मूर्ति भण्डार अयोध्या से निर्मित विग्रह आदि का प्राणप्रतिष्ठा समरोह दि० 27 अक्टूवर 2015 को परमपूज्य ब्रह्यर्षि डाँ० वेदान्ती जी महाराज अयोध्या के नेतृत्व में 11 पंण्डितो का दल वैदिक पूजन-अर्चन नव निर्मित यज्ञशाला में 51 किलो शाक्ल्य हवन के साथ पूर्ण हुआ,मुख्य यज्ञमान आदरणीया नंदिता शुक्ला जी द्वारा पं० राकेश आदि 5 पंण्डितो को प्रतिदिन माता जी के मंदिर का पूजन-भोग आदि का संकल्प कराया गया जिनको दक्षिणा- पूजन सामग्री का व्यय मंदिर के दान पात्र से प्रस्तावित किया गया,भण्डारा पूज्य वेदान्ती जी द्वारा धर्मोदेश के वाद प्राण प्रतिष्ठा समारोह सम्पन्न हुआ।
मंदिर निर्माण के प्रारम्भ में जव चैत्र नवरात्रि 2015 का आया तो विशेष रूप से परमानन्द श्रीवास्तव, जनार्दनपाण्डे, उमेशपाठक, राममोहनशुक्ल, गिरीश, राजेश शुक्ल, राजू तिवारी, लकपति तिवारी, बावन मिश्रा, पुत्तन शुक्ला, गुडलेश सिंह, मलखान सिंह का विशेष सहयोग रहा । पं०रामानन्द तिवारी द्वारा स्वयं भागवत पाठ का आयोजन करके माँ कृपा से भब्य निर्माण मे बृहद गति प्रदान किया गया, जवकि स्थानीय कुछ लोगो से द्वेष के कारण मारपीट उपद्रव एवं अन्य तांडव विरोध अपवाद का दुर्गम रूप से भी सामना करना पड़ा । लोगों को भ्रम रहा कि पं०रामानन्द मंदिर वनवा करके यहाँ अतिक्रमण कर लेगे । पंडित रामानंदतिवारी ने बताया कि मेरा संकल्प मंदिर निर्माण-मूर्ति स्थापना कथा भण्डारा एवं उत्तरोत्तर विकाश का ही रहा । परिणाम स्वरूप जो प्रारम्भ विद्रोह द्वेष करते थे वही आज प्रशंसा करते है ।
अभिजित मुहूर्त का परिणाम रहा कि 6-दिसंबर 2014 से 30 मई 2016 तक 1 वर्ष 5 माह 25 दिने में ट्रस्ट-निर्माण से जुड़े लोगो द्वारा वृहद सहयोग से सम्पन्न हुआ ।
मंदिर में शेष है शिखर का निर्माण
मंदिर में भूमि स्थल से गर्भगृह के ऊपर 51 फिट उँचा चारो कोण में 5 कलश युक्त भव्य शिखर का निर्माण होना है जिसमे लगभग 15 लाख लागत का अनुमान है, जिसको मां की कृपा से वृहद सहयोग से सम्भव है ।
ट्रस्ट में मुख्य सहयोगी सदस्यो की समस्या
मंदिर ट्रस्ट में मुख्य पदाधिकारी गणो के निजी समस्या के कारण पूर्व तरह लोगों का सहयोग नही हो रहा है, परिणाम स्वरूप जो मंदिर का निर्माण एक वड़ी लागत से मां कृपा से 1 वर्ष 5 माह 25 दिन में जो कार्य हुआ, उसी गति एवं व्यक्तिगत सहयोग अभाव तथा उचित मार्गदर्शन न होने से वर्ष 2017 से लगभग 8 वर्षो में भी शिखर निर्माण नही हो पाया है । वर्ष में दो नवरात्रि मे चन्दा से मंदिर व्यवस्था साज-सज्जा में इतिश्री हो जाता है । निर्माण ट्रस्ट के पदाधिकारी मे आपसी सहयोग अभाव के कारण परिणाम दिख रहा कि जिस तरह दूरदराज एवं क्षेत्रीय जनमानस में माताजी के प्रति अपार स्नेह-भक्ति समर्पण विश्वास दिख रहा है, परन्तु निर्माण से जुड़े लोगो मे द्वेष-संवाद हीनता के कारण मंदिर व्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है । फिलहाल ट्रस्ट द्वारा मेला व्यवस्था में राजूतिवारी, बब्बूतिवारी, लकपति, सुरेन्द्रपाण्डेय, नवीन, विनय, अशोका, जगमोहन शुक्ल, गिरीश, विनीत की देख-रेख में चल रहा है।
उचित सुझाव व व्यवस्था की अवश्यकता
संरक्षक प्रन्धक नंदिता शुक्ला के अध्यक्षता मे ट्रस्ट के प्रमुख सदस्यो की एवं मंदिर निर्माण प्रमुख सहयोगी की महत्वपूर्ण वैठक आयोजित करके ग्राम प्रधान की उपस्थिति में मंदिर व्यवस्था तथा भविष्य में शेष निर्माण कार्य, पूजापाठ पर चर्चा के साथ भविष्य में ट्रस्ट-मंदिर सहयोगी को सक्रिय किया जाय । यदि आवश्यक हो तो जिलाधिकारी से प्रशासकीय व्यवस्था का दायित्व का अनुरोध किया जाय तथा नंदिता शुक्ला प्रवन्धक ट्रस्ट मंदिर के नेतृत्व में मंदिर निर्माण-व्यवस्था प्रतिनिधि देवेन्द्र मिश्रा एवं शारदा को ही दायित्व सौप करके पूर्व विवाद को समाप्त करके स्थानीय लोगों का सहयोग लेकर अधूरे कार्य को पूर्ण करने कीे नितांत आवश्यकता है ।
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