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BALRAMPUR...अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का समापन



अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय के एम एल के पी जी कॉलेज सभागार में जीव विज्ञान संकाय व एबीआरएफ (एशियन बायोलॉजिकल रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान तथा सीएसटी, यूपी (कॉउन्सिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी उत्तर प्रदेश द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन रविवार की देर शाम महाविद्यालय सभागार में हुआ। दो दिनों तक चले इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 06 देशों व 14 राज्यों के 52 ऑनलाइन पेपर,12 आमंत्रित व्याख्यान ,15 ऑफलाइन पेपर व 13 पोस्टर प्रस्तुत किये गए।


28 अप्रैल को समापन समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि केडीसी ऑटोनॉमस कॉलेज बहराइच के प्रबंधक मेजर एस पी सिंह,विशिष्ट अतिथि नेपाल के प्रो0 दिलीप झा,मुख्य वक्ता बीझिग चाइना के राशिद रसूल रब्बानी इश्माईली, प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय व आयोजन सचिव डॉ राजीव रंजन ने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करके किया। मुख्य वक्ता बीझिंग वानिकी इंस्टीट्यूट चाइना के राशिद रसूल रब्बानी ने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन ब्रह्मांड के जैविक और अजैविक कारकों के बीच संतुलन है।



यह संतुलन पारिस्थितिकी तंत्र को होमियोस्टैसिस में बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शोधकर्ता संरक्षण प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए विकासशील नीतियों के महत्व का आकलन करने और समझने के लिए जलीय, रेगिस्तान, घास के मैदान, टुंड्रा और वन पारिस्थितिकी तंत्र सहित विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र के जैविक और अजैविक घटकों के विभिन्न पहलुओं की जांच और अध्ययन करते हैं। जैविक कारक पारिस्थितिक तंत्र के मूलभूत घटक हैं, जो ऊर्जा प्रवाह, पोषक चक्रण, जैव विविधता रखरखाव, पारिस्थितिक संपर्क, आवास निर्माण और पर्यावरण निगरानी को संचालित करते हैं।


पारिस्थितिक तंत्र को स्थायी रूप से समझने और प्रबंधित करने, वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के प्रावधान और जैव विविधता के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए जैविक कारकों के महत्व को पहचानना महत्वपूर्ण है।इस कांफ्रेंस में डॉ अंकिता श्रीवास्तव ने बायोलॉजी एवं एप्लाइड साइंस के अंतःविषय मार्गों पर अपने विचार प्रस्तुत करे। डॉ अंकिता श्रीवास्तव भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT), लखनऊ की असिस्टेंट प्रोफेसर ने "व्हीकुलर एड हॉक नेटवर्क (VANET) पर बताया कि किस प्रकार बायो इंस्पायर्ड ऐल्गोरिद्स इंजीनियरिंग के विभिन्न क्षेत्रों में ऑप्टिमिज़ेशन प्रक्रिया के लिये उपयोग किया जाता है।


इसके अतिरिक्त उन्होंने व्हीकुलर ऐड हॉक नेटवर्क के रूटिंग प्रक्रिया में आँट कॉलोनी ऑप्टिमिज़ेशन एल्गोरिदम को विस्तार में समझाया। सम्मेलन में इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के डॉ. नीलेश आनंद श्रीवास्तव ने एक विशेषज्ञ वार्ता दी। उन्होंने बताया है कि आजकल उच्च गति वाले बायोसेंसर के डिजाइन के लिए नोवेल ट्रांजिस्टर पर रिसर्च महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ये महत्वपूर्ण विशेषताएं ट्रांजिस्टर स्केलिंग (Scaling) के लाभों के कारण हैं। साथ हि, ऑफ स्टेट के दौरान नगण्य लीकेज करेंट (Current) वाले नैनोस्केल (Nanoscale) ट्रांजिस्टर को डिजाइन करने की आवश्यकता है। डॉ. नीलेश ने सुझाव दिया है कि विभिन्न जैविक विकारों का पता लगाने के लिए एसओआई मोसफेट (SOI MOSFET) पर आधारित बायोसेंसर के डिजाइन का प्रस्ताव भविष्य में किया जा सकता है। सम्मेलन में अमेरिका के डॉ अविनाश सिंह ने ऑनलाइन व्याख्यान के द्वारा एंटीबाडी प्रतिरक्षी क्षमता के बारे में जानकारी दी। प्राचार्य प्रो0 पाण्डेय ने सभी का स्वागत करते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों के छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया। आयोजन सचिव व विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान डॉ राजीव रंजन ने कहा कि यह सम्मेलन शोध छात्रों के लिए मील का पत्थर साबित होगा और आने वाले दिनों में इसके दूरगामी परिणाम होंगे। डॉ मोहम्मद अकमल ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। राहुल कुमार ने रिपोर्ट प्रस्तुत किया। इस दौरान मुख्य अतिथि मेजर एस पी सिंह को ABRF की ओर से पर्यावरण श्री सम्मान से नवाजा गया। कार्यक्रम के मध्य पोस्टर प्रेजेंटेशन में गोरखपुर विश्वविद्यालय के कीर्ति भारद्वाज व अन्य को प्रथम, एलबीएस गोण्डा के अरहम रफी व अन्य को द्वितीय व केडीसी बहराइच के शेख शहीद अहमद व अन्य को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम के दौरान ABRF की ओर से लगभग 18 व महाविद्यालय की ओर से लगभग 25 लोगों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक व छात्र मौजूद रहे।

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