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21 साल बाद सजा: पूर्व विधायक संजय जयसवाल और आदित्य विक्रम सिंह को 3 साल की सजा, जानें पूरा मामला

बस्ती में 2003 की एमएलसी मतगणना के दौरान हुए बवाल में कोर्ट ने दो पूर्व विधायकों समेत 6 नेताओं को दोषी ठहराया। जानिए कैसे हुआ डीएम से विवाद, और क्या होगा अगला कदम।



मतगणना के हंगामे पर टूटी कानून की गाज: दो पूर्व विधायक समेत छह दिग्गजों को 3 साल की सजा

बस्ती (उत्तर प्रदेश):सियासी गलियारे से बड़ी खबर सामने आई है। दो पूर्व विधायकों सहित छह रसूखदार नेताओं को बस्ती की एमपी-एमएलए कोर्ट ने तीन साल की सजा सुना दी है। मामला है 2003 की उस चुनावी रात का, जब एमएलसी चुनाव की मतगणना के दौरान हंगामा, आरोप-प्रत्यारोप और आखिरकार प्रशासनिक अफसर से मारपीट तक की नौबत आ गई थी।


क्या है पूरा मामला?

दिन था 3 दिसंबर 2003। यूपी विधान परिषद चुनाव के लिए मतगणना चल रही थी। दो प्रमुख उम्मीदवार थे, पूर्व विधायक आदित्य विक्रम सिंह की पत्नी कांचना सिंह और मनीष जयसवाल। मतगणना के बीच अचानक बवाल मच गया। उस समय के जिलाधिकारी अनिल कुमार द्वितीय पर धांधली का आरोप लगाते हुए नेताओं ने हंगामा किया और डीएम से अभद्रता व मारपीट की गई। उस दिन माहौल पूरी तरह चुनावी मैदान से सियासी अखाड़ा बन गया था।


कोर्ट ने सुनाई सजा

करीब 21 साल पुराने इस मामले में कोर्ट का फैसला अब सामने आया है। एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व विधायक संजय जयसवाल, पूर्व विधायक आदित्य विक्रम सिंह, महेश सिंह, त्र्यंबक पाठक, अशोक सिंह और इरफान को दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई है।

महेश सिंह और त्र्यंबक पाठक पहले ब्लॉक प्रमुख भी रह चुके हैं, जबकि कांचना सिंह की इस मुकदमे के दौरान ही मृत्यु हो चुकी है।


राजनीति से कोर्ट तक का सफर

दिलचस्प बात यह है कि जिन मनीष जयसवाल की जीत पर उस समय बवाल हुआ था, वही चुनाव जीत गए थे, जबकि कांचना सिंह हार गईं। लेकिन हार के बाद शुरू हुआ एक लंबा कानूनी संघर्ष, जिसका नतीजा दो दशक बाद सामने आया है।


अब आगे क्या?

कोर्ट के इस फैसले के बाद सभी दोषियों के पास हाईकोर्ट में अपील का विकल्प खुला है। सूत्रों की मानें तो जल्द ही जमानत के लिए याचिका दायर की जा सकती है।


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