अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय स्थित एमएलके पीजी कॉलेज में गुरुवार को "राइटिंग रिसर्च प्रपोजल्स एंड ग्रांट एप्लिकेशंस” विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
22 मई को एमएलके. पीजी कॉलेज के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आई क्यू ए सी) द्वारा शिक्षकों के व्यावसायिक विकास हेतु आयोजित प्रोफेशनल डेवेलपमेंट प्रोग्राम की श्रृंखला में “राइटिंग रिसर्च प्रपोसल्स एंड ग्रांट एप्लिकेशंस” विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य प्रो जे पी पांडेय के निर्देशन में हुआ। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा, “आज के प्रतिस्पर्धी शैक्षिक परिवेश में उच्च गुणवत्ता युक्त अनुसंधान न केवल शिक्षकों की सृजनात्मकता को बढ़ाता है, बल्कि संस्थान की अकादमिक पहचान को भी समृद्ध करता है। ऐसे कार्यक्रम शिक्षकों को शोध प्रस्ताव तैयार करने की विधियों, अनुदान प्राप्ति की संभावनाओं एवं अकादमिक नेटवर्किंग में दक्ष बनाते हैं।” कार्यक्रम की प्रस्तावना आई क्यू ए सी समन्यवक प्रो टी फरखी द्वारा प्रस्तुत की गई। उन्होंने कहा, “शोध कार्य में वित्तीय सहायता प्राप्त करना आज के समय की अनिवार्यता बन चुकी है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम शिक्षकों को उन महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं से अवगत कराता है जिनकी सहायता से वे विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय फंडिंग एजेंसियों से अनुदान प्राप्त कर सकते हैं।”
कार्यक्रम के संयोजक डॉ बी.एल. गुप्ता ने विषय की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा, “शोध प्रस्ताव लेखन एक रणनीतिक कार्य है, जिसमें विषय चयन, उद्देश्य निर्धारण, कार्यप्रणाली, और अपेक्षित परिणामों को वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत करना आवश्यक होता है।"
मुख्य वक्ता डॉ. हेमा, ने अपने व्याख्यान में रिसर्च प्रपोजल की संरचना, उसकी प्रमुख इकाइयाँ, अनुदान प्रदान करने वाली प्रमुख संस्थाओं (जैसे: यू जी सी, आई सी एस एस आर, डी एस टी, आदि) का परिचय, तथा प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण की रणनीतियाँ अत्यंत सरल भाषा में प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत कीं। उन्होंने कहा, “एक प्रभावशाली शोध प्रस्ताव केवल विचारों की प्रस्तुति नहीं, बल्कि शोधकर्ता की दृष्टि, दृष्टिकोण और निष्पादन क्षमता का प्रमाण होता है।” इस अवसर पर महाविद्यालय के मुख्य नियंता प्रो राघवेंद्र सिंह, प्रो. वीणा सिंह, प्रो. रेखा विश्वकर्मा, प्रो. एस एन सिंह, प्रो विमल प्रकाश वर्मा, श्री तारिक़ कबीर, डॉ राजीव रंजन, डॉ शिव महेंद्र सिंह, डॉ राम रहीस, श्री राम आसरे गौतम, सहित अन्य शिक्षक उपस्थित रहे और विषय पर गहन चर्चा में भाग लिया। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन एवं आगामी शोधोन्मुखी गतिविधियों की रूपरेखा के साथ किया गया।
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