डॉक्टर की हैवानियत! पत्नी और बच्चों को ताले में बंद किया, दूसरी शादी कर रचा ली साजिश, पत्नी वीडियो वायरल कर लगाई गुहार | CRIME JUNCTION डॉक्टर की हैवानियत! पत्नी और बच्चों को ताले में बंद किया, दूसरी शादी कर रचा ली साजिश, पत्नी वीडियो वायरल कर लगाई गुहार
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डॉक्टर की हैवानियत! पत्नी और बच्चों को ताले में बंद किया, दूसरी शादी कर रचा ली साजिश, पत्नी वीडियो वायरल कर लगाई गुहार

मऊ में डॉक्टर सुधीर चंद्रा ने पत्नी और दो बच्चों को कमरे में बंद कर दिया, खुद दूसरी शादी कर ली। पीड़िता इंसाफ की गुहार लगा रही है, लेकिन पुलिस चुप है। पढ़िए इंसानियत को झकझोर देने वाली ये खबर।



पति ने ताले में बंद कर दिया, इंसाफ की भीख मांगती रही महिला… मगर कहीं कोई सुनवाई नहीं!

एक मां की चीखें, दो मासूमों की सिसकियां और एक डॉक्टर की हैवानियत... यह कहानी है मऊ जिले की, जहां इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है।

यूपी में मऊ के घोसी थाना क्षेत्र के कस्बा बाजार में रहने वाली रितिका चंद्रा की जिंदगी अब एक खुला ज़िंदा कब्रगाह बन चुकी है। उसकी तकलीफों की आवाज़ इस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, लेकिन जिनके कानों में ये चीखें गूंजनी चाहिए थीं, वहां अब तक सन्नाटा पसरा है।

पति डॉक्टर... मगर बर्ताव जल्लाद से भी बदतर

रितिका ने भरोसा किया था एक पढ़े-लिखे डॉक्टर पर डॉ. सुधीर चंद्रा, जो मिर्जा जमालपुर में अल्ट्रासाउंड सेंटर चलाता है और आजमगढ़ के जिला अस्पताल में सहायक अधीक्षक के पद पर कार्यरत है। मगर वही डॉक्टर अब राक्षसी चेहरे के साथ सामने आया है।

घर के बाहर से लगा दिया ताला, पानी देकर छोड़ दी ‘जिंदगी’ तड़पने को

रितिका का आरोप है कि सुधीर ने अपने मामा डॉ. राधेश्याम के साथ मिलकर उसे और उसके दो मासूम बच्चों को घर में बंद कर दिया। बाहर से ताला जड़ दिया गया। सिर्फ पानी दिया जाता रहा, ताकि जिंदा रह सकें… लेकिन शायद मरने से भी बदतर जिंदगी जीने के लिए।

“मुझे धमकी दी गई, जान से मार देंगे… दूसरी शादी कर ली गई मेरे जिंदा रहते हुए… और अब मुझे घर में रखने से भी इंकार किया जा रहा है,” रितिका का टूटे-फूटे शब्दों में छलकता दर्द कैमरे के ज़रिए अब लाखों तक पहुंच चुका है।

2023 में चुपके से कर ली दूसरी शादी, अब पहली पत्नी को 'निकालने' की साजिश

डॉ. सुधीर चंद्रा ने बिना किसी जानकारी के वर्ष 2023 में दूसरी शादी कर ली। रितिका के मुताबिक, ये सब उसे धीरे-धीरे मानसिक रूप से तोड़ने की एक सोची-समझी चाल का हिस्सा है। बच्चों तक को अब घर में रहने की इजाज़त नहीं है।

पुलिस के दरवाजे भी खटखटाए, मगर हर जगह से मिली मायूसी

रितिका का कहना है कि वह कई बार थाने गई, अधिकारियों से मिलती रही, लेकिन जवाब मिला, "हम कुछ नहीं कर सकते।" क्या यही न्याय है? क्या यही इंसाफ है? जब एक महिला तड़प-तड़प कर अपनी बात कह रही हो और पूरा सिस्टम आंखें मूंद ले?

‘गर्मी में गला सूख रहा है, बस पानी दिया जाता है… इंसान नहीं, जैसे कोई कैदी हूं’

वीडियो में रितिका कहती है, "इतनी गर्मी है कि गला सूखने लगता है, लेकिन सिर्फ पानी दिया जाता है, ताकि जिंदा रह सकूं। मुझे नहीं पता मैं कहां जाऊं… मैं टूट चुकी हूं। बस, अब किसी तरह बच्चों को बचा लूं…"

क्या अब भी चुप रहेगा सिस्टम?

ये सवाल अब पूरे समाज के सामने है। अगर एक डॉक्टर ही इंसानियत को यूं कुचलने लगे, और सिस्टम बस मूकदर्शक बना रहे, तो फिर एक आम औरत को इंसाफ कहां से मिलेगा? देखिए वीडियो 



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