कानपुर में भीषण आग से एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत, जूता फैक्ट्री में कैमिकल धमाकों से गूंजी चीखें, मां-बेटी आखिरी सांस तक लिपटी रहीं।
कानपुर।शहर की तंग गलियों में बसे एक मोहल्ले में रविवार की रात जो हुआ, वो रूह कंपा देने वाला मंजर था। एक पांच मंजिला इमारत में अचानक भड़की आग ने एक परिवार की जिंदगी लील ली। मां-बेटी की लाशें ऐसे मिलीं जैसे आखिरी सांस तक एक-दूसरे को बचाने की कोशिश कर रही हों। लेकिन आग इतनी बेरहम थी कि किसी की कोशिश किसी को जिंदा न रख सकी।
यह हादसा शहर के रिहायशी इलाके में बने एक पांच मंजिला मकान में हुआ, जिसकी दो मंजिलों पर जूता फैक्ट्री चल रही थी। ऊपर के फ्लोर पर दानिश अपने परिवार के साथ रहता था। आग कैसे लगी, यह जांच का विषय है, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार फैक्ट्री में रखे कैमिकल ड्रम में धमाके के बाद आग ने विकराल रूप ले लिया। तीन धमाकों ने पूरी इमारत को हिला दिया।
फैक्ट्री के नीचे से उठी आग की लपटें ऊपर तक पहुंच गईं और ऊपर सो रहे दानिश की पत्नी और तीन बेटियों को घेर लिया। जब तक लोग कुछ समझते, बहुत देर हो चुकी थी। दानिश और उसके पिता किसी तरह बाहर निकले, लेकिन जैसे ही उन्हें अपनों के अंदर फंसे होने का अहसास हुआ, वे वापस भागे। दानिश अपनी बेटियों और पत्नी को बचाने गया, लेकिन वो भी वापस नहीं आ सका। उसके पिता को लोगों ने किसी तरह रोका, वरना शायद आज छह लाशें होतीं।
आग इतनी भयानक थी कि दमकल की दर्जनों गाड़ियां रात भर जूझती रहीं। सीढ़ियों से लेकर छतों तक से पानी डाला गया, लेकिन आग बुझने तक इमारत ने अपने भीतर पांच जिंदगियां दफना लीं।
मौके पर पहुंचे विधायक नसीम सोलंकी ने इस हादसे को प्रशासनिक चूक बताया। स्थानीय लोग भी सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कैसे रिहायशी इमारत में फैक्ट्री चलाने की इजाजत दी गई? क्या किसी अधिकारी ने आंखें मूंद रखी थीं? अगर समय रहते नियमों का पालन होता तो शायद पांच जिंदगियां बच सकती थीं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे का संज्ञान लिया और अधिकारियों को राहत-बचाव के निर्देश दिए। लेकिन राहत से पहले जवाबदेही तय करना ज्यादा जरूरी लगता है।
दमकल अधिकारी का कहना था कि बेसमेंट में रखे केमिकल की वजह से आग तेजी से फैली और ऊपर तक फैल गई। आग की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंदर फंसे लोगों को बाहर निकालने के सभी प्रयास विफल हो गए।
पड़ोसियों के मुताबिक, जब दमकल पहुंची, तब तक ऊपर से सिर्फ चीखें आ रही थीं, मां की पुकार, बेटियों की चीत्कार और फिर अचानक सब कुछ शांत हो गया।
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