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लेखपाल रिश्वत कांड: 4000 की 'कुराबन्दी फीस' लेकर फंसीं विनीता मैडम!

 कानपुर देहात की तहसील सिकंदरा में तैनात विनीता यादव नाम की लेखपाल को 4000 की चाय-पानी के लिए रंगे हाथों पकड़ लिया गया। भ्रष्टाचार पर 'जीरो टॉलरेंस' वाले नारे को एक बार फिर झटका।


व्यंग:उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात से एक ऐसी प्रेरणादायक घटना सामने आई है जो भविष्य के लेखपालों को यह सिखाएगी कि रिश्वत लेते समय मोबाइल ऑफ और सीसीटीवी ऑन न रखें। नहीं तो सबूत बन सकते हैं।



मामला कुछ यूं हुआ कि तहसील सिकंदरा की लेखपाल विनीता यादव को उनके ही सरकारी आवास में चाय पानी के 4 हजार रुपए लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया है। पूरी फिल्म भ्रष्टाचार निवारण संगठन के मल्टी स्टारर ऑपरेशन ‘कैश-क्लैश’ के तहत बनाई गई है


थोड़ा सही से समझे मामला

दरअसल शिकायतकर्ता किसान बेचारा जिसे अपनी जमीन की कुराबंदी करवाने की आवश्यकता थी। लेकिन लेखपाल साहिबा ने कहा कि दर्शन करने के लिए मंदिर में जाते हो तो वहां भी चढ़ावा चढ़ाना होता है हम तो लेखपाल हैं आखिर यहां क्यों नही?


वाजिब दाम: लेखपाल साहिबा विनीता ने नफासत में रहते हुए परेशान किसान से 4000 रुपए कुराबंदी के एवज मांगा। शायद यह मैडम का ऑफिशल रेट था, लेकिन मामला कुछ उलट गया मैडम को भगवान के दर्शन तो नहीं हुए लेकिन एंटी करप्शन टीम के दरबार में उनकी हाजिरी लग गई।


सरकारी तेवर के साथ गिरफ्तार 

एंटी करप्शन टीम ने जैसे ही मैडम जी को रिश्वत लेते हुए दबोचा उन्होंने साफ कह दिया कि यह तो दान के रुपए थे, इन रुपयों को सामाजिक कार्य के लिए लिया गया है।


ट्रोल होने लगी मैडम

एक यूज़र ने लिखा: “4000 में इतना जोखिम? आजकल तो सेल्समैन भी इससे ज्यादा लेते हैं!”

दूसरे बोले: “कम से कम ईमानदारी से रिश्वत ली, खुलेआम… कोई पर्दा-वरदा नहीं।”


भ्रष्टाचार निवारण संगठन का बयान:

“हमारे पास जीरो टॉलरेंस की नीति है, लेकिन लेखपाल मैडम ने समझा शायद ये ‘जीरो’ उनके पेटीएम बैलेंस का जिक्र है।”


फिलहाल:

मैडम को थाने में चाय भी नसीब नहीं हो रही। और ज़मीन की कुराबंदी का मामला अब नई लेखपाल को ट्रांसफर कर दिया गया है, जिसकी शुरुआती फीस 8000 बताई जा रही है,इन्फ्लेशन का जमाना है आखिर।


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