बलरामपुर में शनिवार को आयुष चिकित्सको के राष्ट्रीय संगठन नेशनल इंट्रीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन, नीमा, बलरामपुर के तत्वावधान मे आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रवर्तक भगवान धन्वन्तरि की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।
18 अक्टूबर को नीमा के संस्थापक सचिव डा0 देवेश चन्द्र श्रीवास्तव ने आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के व्यापक प्रयोग पर बल देते हुए कहा कि प्रकृति प्रदत्त सारी सम्पदा आयुर्वेद का अंग है, जो हमारे जीवन के लिए वरदान है। हमे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एवं रोग होने पर रोग का शमन करने लिए विश्व की पुरातन चिकित्सा आयुर्वेद को अपनाना चाहिए।
सम्बोधन मे डा0राकेश चन्द्रा ने असाध्य रोगो के उपचार के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा को वरदान बताते हुए राष्ट्रीय स्तर पर उसपर अधिक शोध कार्य करने का आवाह्नन किया। कार्यक्रम मे डा0 एन के पांडेय, डा प्रांजल त्रिपाठी, डा0 केएन मिश्रा, डा0 प्रदीप कुमार, सचिव डा0 आशीष कुमार सिंह, डा0 केके राना ने आयुष चिकित्सा के उपयोग पर अपने अपने विचार व्यक्त किए। नीमा के वरिष्ठ चिकित्सको मे डा0 केके राना, डा0 देवेश चन्द्र श्रीवास्तव, डा0 राकेश चन्द्रा, डा0 नवल किशोर पांडेय व डा0 प्रदीप कुमार को धन्वन्तरि सम्मान से सम्मानित किया गया।
नीमा अध्यक्ष डा0जुबैर अहमद ने आयुष चिकित्सा के प्रचार-प्रसार पर बल देते हुए धन्वतरि जयन्ती पर सभी को बधाई दी। सचिव डा0 आशीष कुमार सिंह ने आयुर्वेदिक चिकित्सा पर शोध कार्य की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम मे डा0 एचआर अंसारी, डा0 केके शुकला, डा0 विजय पांडेय, डा0 सुभान खां, डा0 एस0 एन0 यादव, डा0अमर खंडेलवाल, डा0 शुभम सिंह, डा0 रवीन्द्र सिंह, डा0 अनवर अहमद, डा0 अकबाल अहमद, डा0 सतीश सिंह डा0 जाहिद खां, डा0नवाब खां सहित अन्य कई चिकित्सक उपस्थित हुए।
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