अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर में विश्व आयुर्वेद परिषद बलरामपुर अवध प्रांत द्वारा प्रांत चिकित्सक प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ प्रांजल त्रिपाठी के नेतृत्व में चरक जयंती धूमधाम से मनाया गया ।
अवध प्रांत चिकित्सक प्रकोष्ठ प्रभारी डा० प्रांजल त्रिपाठी के नेतृत्व में बलरामपुर में परिषद का गठन किया गया, जिसमें वरिष्ठ चिकित्सक डा० के के राणा, डा कौशल्या गुप्ता, डा राकेश चंद्र श्रीवास्तव, डा देवेश चंद्र श्रीवास्तव, डा प्रदीप कुमार, डा सीमा पांडेय ने सदस्यता ग्रहण की । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि क्षेत्रीय आयुर्वेद यूनानी अधिकारी डा0 दिग्विजय नाथ सिंह ने विश्व आयुर्वेद परिषद की आजीवन सदस्यता ग्रहण कर चुके डा0 प्रदीप दुबे, डा श्वेता चंदेल, डा ईश देव आर्य, डा0 अभिषेक सिन्हा, डा0 संतोष कुमार को सम्मानित किया । डा प्रांजल त्रिपाठी ने अपने संबोधन में विश्व आयुर्वेद परिषद के बारे में विस्तृत जानकारी दी । उन्होंने बताया कि विश्व को आयुर्वेद का संदेश देने वाले आयुर्वेद के सिद्धांत और व्यवहार दोनो ही आज अपने देश में ही उपेक्षा व तिरस्कार के शिकार हैं । उन्होंने आगाह किया कि याद रहे ये केवल आयुर्वेद की हानि हो नहीं है अपितु देश के सभी नागरिकों एवं विश्व की रोगत्रस्त मानवता की हानि है । इस ज्ञान को पुनः स्थापित करने के लिए विश्व आयुर्वेद परिषद का गठन किया गया है । विश्व आयुर्वेद परिषद आयुर्वेद चिकित्सकों का एक सामूहिक मंच है । जहां सभी चिकित्सक कार्यकर्ता अपनी अपनी क्षमताओं को आयुर्वेद की वृद्धि के लिए समर्पित कर स्वस्थ एवं समृद्ध देश व विश्व के निर्माण के लिए साधनारत हैं। डा0 देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने महर्षि चरक के बारे में विस्तार से बताया । उन्होंने कहा कि विश्व में चिकित्सा के जनक महर्षि चरक हैं, उनके द्वारा चरक संहिता सम्पूर्ण चिकित्सा व्यवस्था का एक अभूतपूर्व संग्रह है । डा0 राकेश चंद्र ने अपने संबोधन में कहा कि आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है । आयुर्वेद में जटिल रोगों का सफल इलाज है । डा0 कौशल्या गुप्ता ने कहा कि आयुर्वेद को जन जन तक पहुंचाने के लिए सदैव प्रयासरत रहना चाहिए । उन्होंने सुझाव दिया कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद को अपनाएं एवं दिनचर्या, ऋतुचर्या का पालन करें तो रोगों से दूर रहा जा सकता है । डा0 प्रदीप कुमार ने कहा कि आयुर्वेद जीवन जीने की शैली है, जिससे शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है । विशिष्ठ अतिथि डा0 के. के. राणा ने कहा कि आयुर्वेद को व्यवहार में लाने से शरीर दीर्घायु एवं स्वस्थ रहता है । मुख्य अतिथि डा0 दिग्विजय नाथ ने दीप प्रज्वलन कर चरक जयंती के अवसर पर कहा कि महर्षि चरक, सुश्रुत तथा वागभट्ट की परंपरा को अपने चिकित्सा क्षेत्र में अपनाना चाहिए । कोरोना काल में आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा जिस प्रकार से लोगों ने अपने को कोरोना मुक्त रखा वो अपने आप में आयुर्वेद चिकित्सा की महिमा को प्रदर्शित करता है । डा0 सीमा पांडेय द्वारा चरक वंदना गाकर कार्यक्रम का सुभारंभ किया गया । कार्यक्रम में महिला चिकित्सक डा0 निधि त्रिपाठी भी उपस्थित रहीं । मंच का सफल संचालन डा0 शहंशाह आलम ने किया । डा प्रांजल त्रिपाठी ने आए हुए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया । इस अवसर पर चरक फार्मा के राकेश पांडेय, शहजाद, अतुल, सुधांशु सहित अन्य कई लोग उपस्थित रहे।
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