अस्तित्व खोने के कगार पर चुराईपूर्वा गाँव | CRIME JUNCTION अस्तित्व खोने के कगार पर चुराईपूर्वा गाँव
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अस्तित्व खोने के कगार पर चुराईपूर्वा गाँव


गाँव में भरे पानी को नाव से पर करते ग्रामीण


बहराइच। बाढ़ तो खत्म हो गई है, लेकिन कम हो रहा नदी का पानी भीषण कटान का सबब बना हुआ है। महसी तहसील का चुरईपुरवा गांव नदी के निशाने पर आ गया है। नदी की लहरों ने तीन तरफ से गांव को घेर लिया है। इसके चलते ग्रामीण अपने आशियाने उजाड़कर पलायन कर रहे हैं।
कैसरगंज के गोड़हिया गांव में भी कटान चल रही है। सूचना के बावजूद अब तक कटान रोकने के कोई उपाय नहीं हुए है। बीते मंगलवार दोपहर तक 21 मकान नदी में समाहित हुए हैं। वहीं 190 बीघा खेती योग्य जमीन भी घाघरा की लहरों ने लील लिया है।
घाघरा नदी की लहरें मुसीबत का सबब बनी हुई है। बाढ़ तो खत्म हो गई है, लेकिन अब कटान लोगों के अरमानों पर पानी फेर रही है। इस समय महसी तहसील का चुरईपुरवा गांव नदी के निशाने पर है। जिससे अफरा-तफरी मची हुई है।
नदी की लहरों ने कटान करते हुए गांव को तीन तरफ से घेर लिया है। सिर्फ निकलने का रास्ता बचा है। ऐसे में गांव के लोग अपने आशियाने उजाड़कर पलायन कर रहे हैं। रात में शुरू हुई कटान के चलते अब तक घसीटे, लायकराम, सुधाकर, श्रवण कुमार, रामसहारे, दिवाकर, भगोले, राजेंद्र, मोलहे, ताराचंद कई लोग आशियाने उजाड़ रहे हैं।
इसके चलते गांव खंडहर में तब्दील हो गया। उधर कैसरगंज के गोड़हिया में हो रही कटान में सात ग्रामीणों के मकानों को नदी की लहरों ने लील लिया है। वहीं खेती योग्य जमीन भी कट रही है। 190 बीघा जमीन नदी में समाहित हुई है। इस जमीन में गन्ना और धान की फसल लगी हुई थी। पूरी फसल नष्ट हो गई है। कटान पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने सूचना तहसील पर दी। लेकिन कटान रोकने के कोई उपाय नहीं हुए हैं।

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