Type Here to Get Search Results !

Action Movies

Bottom Ad

प्रतापगढ़:वरासत तथा आधार कार्ड से वंचित किसान कृषक ऋण मोचन के लिए दर दर खा रहे ठोकरे


तहसील प्रशासन छुट्टी के दिन भी छूटे लाभार्थियों का प्रमाणपत्र बनाने में बहा रहा पसीना
सत्ताइस सितम्बर को जिला मुख्यालय पर वंचित किसानों को मिलेगा प्रमाण पत्र
लालगंज / प्रतापगढ़। कृषक ऋण मोचन योजना के तहत तहसील के छूटे हुए लाभान्वित होने वाले किसानों को आगामी सत्ताइस सितम्बर को जिला मुख्यालय पर कृषक ऋण मोचक प्रमाण पत्र दिए जाने की कवायद में तहसील प्रशासन रविवार को अवकाश के दिन भी माथापच्ची करता दिखा। गौरतलब है कि ब्लाक मुख्यालय पर हाल ही में आयोजित कृषक ऋण मोचक कार्यक्रम में किसानों को प्रमाणपत्र वितरित किया गया था। किन्तु कुछ किसानों ने आधार कार्ड से बैंक खाते को लिंक नहीं करा रखा था और मृतक किसानों की वरासत प्रक्रिया अधर में लटकी हुई थी। इससे अधिकांश किसान योजना के लाभ से नहीं जुड़ सके। रविवार को तहसीलदार ओम प्रकाश पाण्डेय के साथ सभागार में तहसील के राजस्व निरीक्षकों तथा लेखपालों ने लाभान्वित होने वाले किसानों की सूची तैयार करने में पसीना बहाया। तहसीलदार ओम प्रकाश पाण्डेय के मुताबिक मृतक किसानों के उत्तराधिकारियों से शपथ पत्र लिए जाने की तहसील प्रशासन कार्यवाई कर रहा है। वहीं हर गांव से छूटे हुए किसानों की पारदर्शिता के साथ सूची बनवाने के लिए लेखपालों व राजस्व निरीक्षकों को भौतिक सत्यापन के निर्देश दिए गए हैं। तहसीलदार के मुताबिक तहसील के लगभग दो हजार किसानों को इस बार के जिला मुख्यालय पर लगने वाले कैम्प में लाभ प्रमाण पत्र प्रदान किया जायेगा। वहीं तहसील का राजस्व महकमा कृषक ऋण मोचक योजना से वंचित रह गये किसानों के आधार कार्ड को भी बैंक से लिंक कराने में लगा हुआ है। यद्यपि मृतक किसानों के वरासत कार्यवाही के लिए तहसील महकमा वारिसानों से शपथ पत्र का सहारा ले रहा है, किन्तु शासन के निर्देश की राजस्व महकमें द्वारा उड़ाई जा रही धज्जियां भी सरकार के कर्जमाफी अभियान में लेखपालों की कलई खोल रहा है। शासन के निर्देश हैं कि मृतक की वरासत तेरह दिन के अंदर पूर्ण कर उत्तराधिकारियों को सौंप दी जायं। शासन के आला अफसर भी गांव के अचानक दौरों में वरासत का सत्यापन किया करते हैं। इसके बावजूद वरासत को लेकर मृतक के उत्तराधिकारियों की तहसील में एड़ी घिस जाया करती है। आखिर सूबे की सरकार की राजस्व महकमा खुद कलई खोल दे रहा है कि मृतकोें के वरासत के लिए पीड़ितों को किस कदर लेखपाल व कानूनगो के दरबार में धूल फांकना पड़ रहा है। शपथपत्र के बजाय यदि तहसील प्रशासन ने लेखपालों की नकेल कस दे तो किसानों को कर्जमाफी के साथ कम से कम वरासत के लिए तो तहसील का चक्कर न काटना पड़े। इस बाबत तहसीलदार भी दोषियों के खिलाफ कारवाई की बात कहकर बचाव की मुद्रा में दिख रहे हैं। फिलहाल अभी तहसील के राजस्व गांवों में ही हजारों किसान ऐसे हैं जिनके खाते सम्बन्धित बैंकों से आधार से लिंक नहीं हो पा रहे हैं और बहुतेरे के तो वरासत का झमेला फर्जी बैनामों या फिर वसीयत के नाम पर कानूनी दांवपेंच में उलझे हुए हैं। इधर बैंकों की हालत यह है कि कई पीड़ित दिनभर बैंकों का चक्कर काटते काटते थक जा रहे हैं किन्तु बैंककर्मी पीड़ित का पूरा डाटा लेने के बावजूद खातों को आधार कार्ड से जोड़ने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। ऐसे में बहुत से जरुरतमंद चाहे वह किसान हों या फिर व्यापारी या फिर छात्र बैंकों के खाते में आधार से लिंक न हो पाने के कारण किसान कर्जमाफी और छात्रवृत्तियों जैसी अनेक सरकार की लाभकारी योजनाओं से वंचित हो रहे हैं तो अधिकांश जरुरत के तहत खुद बैंकों में जमा धनराशि निकाल नहीं पा रहे हैं। ऐसे में तहसील और बैंक प्रशासन की लापरवाही भुगतने वालों की पीड़ा को जिले के अफसरान भी शायद महसूस नहीं कर पा रहे हैं। जब सरकारी योजनाओं से लाभार्थियों को कागजात दुरुस्ती के लिए नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं तो भगवान जाने सामान्य जरुरत के तहत लोगों को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Below Post Ad

Comedy Movies

5/vgrid/खबरे