अलीम खान
अमेठी योगीराज में भी बढ़ते अपराधों को देखते हुए अब तो लगता है कि सूबे के अति विशिष्ट जनपद अमेठी में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है। और न ही पुलिस का भय अपराधियों के मन में रत्ती भर भी रह गया है तभी तो आये दिन इस शांत फिजा वाले जनपद से होकर बह रही शारदा सहायक खण्ड 49 को अपराधिक तत्वों के द्वारा अपराधो को बेखौफियत से अंजाम देकर इस नहर को गुनाह दफन का माकूल दरिया बना लिया गया है आये दिन नहर में लाशों के बहने का सिलसिला जारी रहता है, जिसके परिणाम स्वरूप बेक़सूर जनता को इस तरह के घटनाओं में अपनी जान गवानी पड़ रही है।
अमेठी के मुसाफिरखाना में पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है. यहां शारदा सहायक खण्ड-49 नहर में एक लाश तैर रही थी और वही प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो पुलिस है कि उनके बह जाने का इंतजार कर रही है.
आज शनिवार को मुसाफिरखाना मुंसीगंज मार्ग (सीएचसी पुल के पास) पर लोगों ने एक युवक की लाश को शारदा सहायक खण्ड 49 नहर में बहते हुए देखा विश्वत सूत्रों की माने तो मुसाफिरखाना पुलिस लाश को सरहद पार कराने के लिए नहर के इर्द गिर्द घूमती भी दिखी
महिलाओं और युवतियों की भी प्रायः बह रही लाशें
महिलाओं की सुरक्षा और उन पर होने वाले अपराधों को रोकने को लेकर देशभर के लोगों में उबाल है पर जनपद में खाकी का रवैया महिला अपराधों के प्रति संवेदनहीन बना हुआ है।
पहले भी होती रही हैं शवों की दुर्दशा
लोगों की माने तो जनपद पुलिस को लाशों को सीमापार कराने में महारत हासिल है पहले तो पुलिस इस मामले को लेकर टालमटोल करती है, पर लोगों के ज्यादा दवाब पर वह शवों को सीमा पार कराने में जरा से भी देर नहीं करती और बाद में सीमा विवाद के कारण शव किनारे सड़ता रहता है ।
पुलिस लापरवाही से मिट जाते हैं साक्ष्य
चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों की माने तो करीब 135 घंटे बाद होने वाले पोस्टमार्टम की स्थिति में चिकित्सकों को मौत का कारण तय करने में मुश्किल आती है। दो दिन बाद लाश का रंग बदलने लगता है। हरा होने के साथ तीसरे दिन रंग काला हो जाता है। इसके बाद बॉडी रखने पर उसकी खाल भी शरीर से हटने लगती है। बॉडी सड़ने के कारण मांसपेशियां भी सड़ जाती हैं। इससे मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाता।
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