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एडिशनल सीएमओ की चिट्ठी ने मचाई स्वास्थ्य विभाग में खलबली-पढ़ें पूरी खबर

रिपोर्ट:- सत्येन्द्र खरे



''एक चिठ्ठी'' जिसने मचा दी सरकारी मशीनरी में खलबली

कौशाम्बी। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशाम्बी जिले में तैनात एक सरकारी डाक्टर की चिट्ठी ने इन दिनों कोहराम मचा रखा है। सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ भले ही सुबह से लेकर देर रात तक काम करते हों, लेकिन चिट्ठी लिखने वाले कौशाम्बी के यह सरकारी डाक्टर ज्यादा काम लिए जाने को अपने मौलिक अधिकारों का हनन मानते हैं। एडिशनल सीएमओ के पद पर तैनात इस सरकारी डाक्टर ने डीएम समेत विभाग के बड़े अफसरों को चिट्ठी भेजकर सुबह दस से शाम पांच बजे के बीच के वक्त के अलावा कोई काम लेने या मीटिंग में बुलाने को गलत बताया है। उनका मानना है कि आफिस टाइम से पहले और बाद में मीटिंग रखे जाने से उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है और साथ ही उनके जीवन जीने के अधिकार का हनन भी होता है। एडिशनल सीएमओ की इस चिट्ठी से प्रशासनिक अमले से लेकर महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। विभाग के मंत्री और यूपी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने इस चिट्ठी पर सख्त एतराज जताते हुए डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई के संकेत दिए हैं। हालांकि कौशाम्बी के डीएम मनीष वर्मा ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है और वह कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। आफिस टाइम के अलावा मीटिंग लिए जाने पर चिट्ठी लिखकर सवाल उठाने वाले डाक्टर का नाम वीके सिंह है। पचास की उमर पार कर चुके डा० वीके सिंह कौशाम्बी जिले में एडिशनल सीएमओ के पद पर तैनात हैं। वह यहां पर तकरीबन एक साल पहले तैनात किये गए थे। डा० बीके सिंह के जिम्मे ख़ास तौर पर नॅशनल हेल्थ मिशन यानी एनएचएम के काम रहते हैं। यूपी में योगी की सरकार बनने के बाद सरकारी महकमे में तेजी लाने के लिए अफसरों पर शिकंजा कसा जाने लगा। जिले के डीएम मनीष वर्मा अक्सर आफिस टाइम खत्म होने के बाद ही मीटिंग करते थे। ड्यूटी टाइम ख़त्म होने यानी शाम पांच बजे के बाद या छुट्टी के दिन भी मीटिंग के लिए बुलाए जाने से खफा एडिशनल सीएमओ डा० बीके सिंह ने प्रशासनिक अफसरों के साथ ही अपने डिपार्टमेंट के डीजी समेत तमाम दूसरे जिम्मेदार लोगों को भी चिट्ठी भेजकर सिर्फ वर्किंग डे पर आफिस टाइम में ही मीटिंग रखे जाने को कहा है।
उनकी दलील है कि ऐसा न होने न सिर्फ उनकी सेहत को नुकसान पहुंच सकता है, बल्कि यह उनके जीवन जीने के मौलिक अधिकार का हनन भी है। डा० बीके सिंह की इस चिट्ठी से प्रशासनिक अमले से लेकर महकमे तक में हड़कंप मचा हुआ है। डा० बीके सिंह को अक्सर मीटिंग में बुलाने वाले डीएम मनीष वर्मा ने इस मामले में चुप्पी साध ली है और कुछ भी बोलने से मना कर रहे हैं, जबकि सरकार के हेल्थ मिनिस्टर और प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने इस चिट्ठी पर कडा एतराज जताया है। उनके मुताबिक़ चिट्ठी अब तक उन्हें नहीं मिली है, लेकिन मौलिक अधिकारों के हनन की बात पूरी तरह गलत है। उन्होंने साफ़ तौर पर तो नहीं कहा, लेकिन यह संकेत जरूर दिए कि योगी सरकार के मिशन पर पानी फेरकर फजीहत कराने वाले सरकारी डाक्टर के खिलाफ आने वाले दिनों में कड़ी कार्रवाई जरूर हो सकती है।

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