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हिंदी पत्रकारिता के पुरोधा गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती पर विशेष










वासुदेव यादव
अयोध्या। अतीतकाल में गणेश शंकर विद्यार्थी पत्रकार को सत्य का पहरूआ मानते थे। उनके अनुसार सत्य प्रकाशित करना और उसे उजागर करना ही पत्रकार का मुख्य धर्म होता है। उन्होंने कहा था-
‘‘मैं पत्रकार को सत्य का प्रहरी मानता हूं-सत्य को प्रकाशित करने के लिए वह मोमबत्ती की भांति जलता है। सत्य के साथ उसका वही नाता है जो एक पतिव्रता नारी का पति के साथ रहता है। पतिव्रता पति के शव साथ शहीद हो जाती है और पत्रकार सत्य के शव के साथ।‘‘
पत्रकार शिरोमणि गणेश शंकर विद्यार्थी ने पत्रकारिता को समस्त मानव विश्व जाति के कल्याण के लिए कार्य करने की प्रेरणा दी। 





उन्होंने कहा कि-‘‘समस्त मानव जाति का कल्याण हमारा परम उद्देश्य है और इस उद्देश्य की प्राप्ति का एक बहुत जरूरी साधन हम भारतवर्ष की उन्नति समझते हैं।‘‘ वर्तमान प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक व वेब मीडिया के पत्रकारिता के इस दौर में पत्रों एवं समाचार चैनलों पर यह आरोप आम हो चुका है कि मीडिया पाठकों एवं दर्शकों की रूचि का नहीं बल्कि बाजार व अपने आका का ख्याल रखता है। विद्यार्थी जी के जीवनी लेखक देवव्रत शास्त्री ने उनकी पंक्तियों को दोहराते हुए लिखा है-






‘‘हमारे पाठक कैसे हैं, उन्हें कैसी पाठ्य सामग्री पसंद है, कैसी सामग्री उनके लिए फायदेमंद है। इस बात का ख्याल अधिकतर पत्र वाले नहीं रखते, परंतु प्रताप में इसका ख्याल रखा जाता था। विद्यार्थी जी सदा अपने सहकारियों को इसके लिए समझाते थे। वे इस बात का भी बहुत ख्याल रखते थे कि पाठकों की रूचि के अनुसार पाठ्य सामग्री तो जरूर दी जाए, परंतु कुरूचिपूर्ण न हो।‘‘
विद्यार्थी जी युवा पत्रकारों के लिए उनके शिक्षक के समान थे, उनके संपर्क में आकर बहुत से पत्रकारों ने पत्रकारिता में अग्रणी स्थान प्राप्त किया।







वे उन्हें भली-भांति समझाते थे, एक बार वे कार्यालय में आए और अखबार उठाते हुए पूछने लगे ‘‘कोई नई बात है? यह उत्तर मिलने पर कि अभी देखा नहीं, कहने लगे, कैसे जर्नलिस्ट हो तुम लोग? नया पत्र आकर रखा हुआ है और उसी दम उठाकर देखने की इच्छा नहीं हुई?‘‘ विद्यार्थी जी की फटकार सुनकर सभी अपना सिर नीचा कर लेते। आज के पत्रकारों को उनसे सीख लेनी होगी ताकि पत्रकारिता की आत्मा जिंदा रह सके। आज पत्रकारिता की आत्मा छलनी होती जा रही है। उस पर बाजारवाद पूंजीवाद हावी है। पत्रकार को अपना धर्म निभाना चाहिए व समाज को पत्रकारों का सम्मान करना चाहिए।

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