अध्यापकों को इमरजेन्सी से निपटने की दी जा रही है ट्रेनिंग
ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। जिला आपदा प्रबन्धन समिति व यूनीसेफ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होने वाली तीन दिवसीय व्यापक स्कूल जागरूकता एवं सुरक्षा प्रशिक्षण व आपदा प्रबन्धन कार्यशाला का शुभारम्भ जिलाधिकारी प्रभान्शु श्रीवास्तव ने किया।
जिला पंचायत में आयोजित कार्यशाला में प्रत्येक ब्लाक के दो दो प्राइमरी व दो दो उच्च प्राथमिक विद्यालय के दो दो अध्यापकों को आपदा प्रबन्धन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कार्यशाला का शुभारम्भ करने के बाद डीएम ने कहा कि जानकारी ही बचाव है। इसलिए स्कूलों में दैवीय आपदाओं और स्वयं लोगों की गलती से हो जाने वाली घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए आवश्यक है कि लोग जनागरूक हों और छोटी छोटी चीजें जिनसे लोगों की जान बचाई जा सकती है उसके बारे में लोग जानें। उन्होंने कहा कि आपदाएं दो तरह की होती हैं, एक तो मनुष्य की गलती अथवा उसके द्वारा उत्पन्न की जाती है और दूसरी दैवीय आपदा होती है जिस पर हमारा वश नहीं होता है।
हम उनसे सिर्फ बचाव के उपाय कर सकते हैं। हाल के दिनों में आपदा प्रबंधन को बहुत महत्व मिला है। उन्होंने कहा कि अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष प्रभावों, चाहे वह प्राकृतिक हो, मानव निर्मित हो, औद्योगिक हो या तकनीकी, का परिणाम हमेशा विनाश, क्षति और मृत्यु होता है। आपदाओं के कारण जानवरों और मनुष्यों के जीवन को बड़ा खतरा और नुकसान हो सकता है।
खास करके स्कूलों में आपदा प्रबन्धन बहुत ही आवश्यक है। विद्यालय के भवन और उनमें सुरक्षा के उपाय जैसे अग्निशमन यंत्र, प्राथमिक उपचार के साधन, आपदा की स्थिति में उनसे निपटने के गुर आदि की जानकारी बच्चों व अध्यापकों को भी होनी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विशेषकर विद्यालय जिनके आस पास गैस सिलेन्डर के गोदाम, आयल डिपो, खतरनाक कारखाने, हाई टेंशन की विद्युत लाइनें, मदिरा की दुकानें, व्यस्त बाजार, भट्ठे, ओवर ब्रिज, वाटर टैंक, बहुमंजिला इमारतें, रेलवे ट्रैक, विद्युत सब स्टेशन्स, ट्रान्स्फार्मर आदि हों, वहां पर विशेष निगरानी व चौकसी बरती जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों में इमरजेन्सी से निपटने के लिए माॅकड्रिल होना चाहिए।
इस दौरान जिला आपदा विशेषज्ञ राजेश श्रीवास्तव, जिला समन्वयक समेकित शिक्षा राजेश सिंह, विद्या भूषण मिश्रा तथा यूनीसेफ के अधिकारी उपस्थित रहे।
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