इस मौके पर की गईं मुल्क की खुशहाली और अम्न की दुआएं
ए. आर. उस्मानी / इमरान
गोण्डा। रमजान के पाक माह के अंतिम जुमे पर आज जिले भर में लाखों मुसलमानों ने अलविदा की नमाज अदा की। इस जुमे की नमाज में मस्जिदों में पढ़े जाने वाले खुतबे की इबारत सुनकर रोजेदारों की आंखें छलक आईं। एक बेहद मुबारक महीने की विदाई की टीस चेहरों पर भी नजर आई।
शुक्रवार को 25 वीं रमजान को आखिरी जुमा था। इसे लेकर रोजेदारों और नमाजियों में खास उत्साह था। सुबह से ही लोग नहा-धोकर साफ-सुथरे कपड़ों में उन मस्जिदों की ओर चल पड़े, जहां अलविदा की नमाज अदा होती है। यूं तो ग्रामीण क्षेत्रों की तमाम मस्जिदों में नमाज़ अदा की गयी, मगर मुख्य नमाज शहर में स्थित मीनाइया और फुरकानिया मस्जिद में हुई। इन मस्जिदों में अंदर से बाहर तक नमाजी भरे रहे। मनकापुर स्थित जामा मस्जिद में भी यही नजारा देखने को मिला। नमाजियों की तादात के मद्देनजर मस्जिद प्रबंधन ने सामने सड़क पर चटायी बिछा रखी थी।
जिन्हें मसजिद में जगह नहीं मिली उन्होंने सड़क पर नमाज अदा की। अलविदा की नमाज जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मुनव्वर अली खांं कादरी ने अदा कराते हुए देश व मुल्क में अमन चैन और लोगों में भाईचारा बने रहने के लिए दुआ मांंगी। इसी के साथ रमजान माह के आखिरी जुमा (जुमातुल विदा) की नमाज़ शांतिपूर्वक अदा की गयी। इस दौरान सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम रहे।
गोण्डा शहर के साथ ही, खोरहंसा, जमुनियाबाग, चिश्तीपुर, पूरे तिवारी में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। मोतीगंज, काजीदेवर, सीहागांव, कस्टुवा में भी शांतिपूर्ण माहौल में अलविदा की नमाज अदा की गई। इस मौके पर कहोबा चौकी प्रभारी एस. एन. राय हमराही कांस्टेबल राकेश कनौजिया के साथ भ्रमणशील रहकर अलविदा की नमाज शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराने में लगे रहे। जिले के करनैलगंज, कटरा बाजार, परसपुर, तरबगंज, वजीरगंज, नवाबगंज, मनकापुर, मसकनवा, छपिया, बभनान, खोड़ारे, गौरा चौकी, सादुल्लाहनगर, धानेपुर, खरगूपुर, इटियाथोक आदि इलाकों में भी अलविदा की नमाज श्रद्धा के साथ शांतिपूर्ण वातावरण में संपन्न हुई। इस दौरान लाखों की तादात में मुसलमानों ने नमाज अदा की और मुल्क की तरक्की, बेहतरी, खुशहाली तथा अमन चैन की दुआएं मांगी।
क्या होता है अलविदा जुमा
माह-ए-रमजान का आखिरी जुमा काफी अहम माना जाता है। इसे छोटी ईद का भी दर्जा दिया गया है। जुमा अलविदा रमजान माह के तीसरे अशरे (आखिरी 10 दिन) में पड़ता है। तीसरा अशरा निजात का अशरा होता है। इस जुमे को साल भर पड़ने वाले जुमे से अव्वल (बेहतरीन) माना जाता है। यह अफजल जुमा होता है। इससे जहन्नम (दोजक) से निजात मिलती है। यह आखिरी असरा है, जिसमें एक ऐसी रात होती है, जिसे तलाशने पर हजारों महीने की इबादत का लाभ एक साथ मिलता है। यूं तो जुमे की नमाज पूरे साल ही खास होती है, पर रमजान का आखिरी जुमा अलविदा सबसे खास होता है। अलविदा की नमाज में सच्चे दिल से जो भी दुआ की जाती है, वह जरूर पूरी होती है। अलविदा जुमा के साथ ही रोजेदार ईद की तैयारियों में जुट जाते हैं। कपड़े सिलने से लेकर विभिन्न पकवानों के लिए आवश्यक सामग्री की खरीदारी आज से तेज हो जाती है। अलविदा जुमा अदा करने के बाद हर रोजेदार को बस ईद के चांद के दीदार का इंतजार रहता है।
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