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कप्तान साहब! मोतीगंज में पुलिस संरक्षण में कुटीर उद्योग का रूप ले चुका 'कच्ची' शराब का धंधा !






ए.आर.उस्मानी
गोण्डा। मोतीगंज थाना क्षेत्र के में कच्ची जहरीली शराब का अवैध कारोबार इलाकाई पुलिस और आबकारी विभाग की साठगांठ से कुटीर उद्योग का रूप ले चुका है। थाना क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले दर्जनों गांवों में खुलेआम जहरीली शराब की भट्ठियां धधकती हैं। बताते हैं कि इसके एवज में हल्का दरोगा और सिपाही कारोबारियों से प्रतिमाह एक निश्चित रकम वसूलते हैं। महज कुछ रूपयों के लालच में ये खाकी वर्दीधारी गरीबों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। हल्का नंबर दो के बनकटी सूर्यबली सिंह ग्राम पंचायत का ललकी पुरवा गांव तो जहरीली शराब के लिए जिले में ही नहीं वरन विदेश में भी कुख्यात है। बताते हैं कि यहां की बनी कच्ची शराब पड़ोसी देश नेपाल तक सप्लाई की जाती है। हालांकि अभी तक पुलिस अथवा अन्य सुरक्षा एजेंसियों को इसके पुख्ता सबूत नहीं मिल सके हैं।
       सूत्र बताते हैं कि 1000 से लेकर 1500 और 3000 रूपये तक की वसूली अवैध शराब कारोबारियों से हर महीने की जाती है। इस बाबत शिकायतें होने तथा मीडिया में खबरें आने के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है, जिससे जहरीली शराब के धंधेबाजों के साथ ही इलाकाई पुलिस भी बेलगाम हो चुकी है।
       जिले के मोतीगंज थाना क्षेत्र के हल्का नंबर दो का ललकी पुरवा गांव अवैध कच्ची जहरीली शराब के लिए कुख्यात है। यहां जैसे जैसे दिन गुजरता है, वैसे वैसे शराब की 'मण्डी' गुलजार होने लगती है। शाम होते ही सड़क किनारे और गन्ने के खेतों में शराबियों का मेला लग जाता है। बताते हैं कि रामनगर बाजार में शराब का कारोबार करने वाला एक व्यक्ति तो नेपाल तक इसकी सप्लाई करता है। रसूख और रूपया के चलते इलाकाई पुलिस के साथ ही आबकारी विभाग भी उस पर हाथ डालने का साहस नहीं करता है। इसी तरह हल्का नंबर एक के गढ़ी गांव में भी शाम होते ही शराबियों की आमदरफ्त शुरू हो जाती है। गन्ने के खेतों से लेकर सड़कों के किनारे शराब के कारोबारी दुकानें सजाए रहते हैं। इसके अलावा विद्यानगर, इमलिया, रामपुर आदि गांवों में भी हल्का पुलिस के संरक्षण में जहरीली शराब का धंधा परवान चढ़ा हुआ है। हल्का नंबर एक में दर्जनभर से अधिक गांव ऐसे हैं जहां खुलेआम गरीबों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जाता है। कच्ची शराब पीकर आए दिन लोग असमय ही जान गंवा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद खाकी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। बताया जाता है कि मोतीगंज थाने के हल्का दरोगा व सिपाही शराब कारोबारियों को खुली छूट दे रखे हैं। इसके बदले में ये प्रति शराब विक्रेता से हर महीने मोटी रकम वसूलते हैं। इन गांवों में जब भी छापा मारने का प्लान बनता है, तो इनके द्वारा इसकी सूचना शराब के धंधेबाजों को पहले ही दे दी जाती है, जिससे वे सावधान हो जाते हैं।

 नेपाल तक जाती है ललकी पुरवा की दारू

मोतीगंज थाना क्षेत्र का ललकी पुरवा और रामनगर बाजार अवैध कच्ची शराब के लिए सुविख्यात है। बताते हैं कि यहां की शराब पड़ोसी देश नेपाल तक भेजी जाती है। इसके अलावा बलरामपुर, बस्ती, फैजाबाद, अम्बेडकर नगर और महराजगंज जैसे जिलों में भी शराब माफियाओं के तार जुड़े हुए हैं। इन जनपदों में बाइक या लग्जरी गाड़ियों से कच्ची शराब की सप्लाई की जाती है। बताते चलें कि ललकी पुरवा में ही शराब एक्टिविस्ट मोहिनी आज़ाद का घर है। वे बडे़ पैमाने पर कच्ची के खिलाफ अभियान चलाती हैं लेकिन शराब माफियाओं से इलाकाई पुलिस की साठगांठ के चलते अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाती है। यहां भी हल्का दरोगा शराब के धंधेबाजों से मोटी रकम वसूल कर मालामाल हो रहे हैं और शराब के आदी गरीब तबके के मजदूरी पेशा लोग कंगाल होने के साथ ही असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं।


कच्ची शराब में प्रयोग की जाती है नशादर और यूरिया

सूत्रों के अनुसार अमूमन महुआ, गुड़ आदि से बनायी जाने वाली कच्ची शराब का ट्रेंड अब बदल चुका है। शराब को 'चोखा' (अधिक नशीला) करने के लिए उसमें अब नशादर और यूरिया खाद के साथ ही नशीली दवाओं आदि का भी मिश्रण किया जाता है। इससे शराब तो काफी तेज़ हो जाती है, लेकिन पीने वालों के जीवन की रफ्तार धीमी कर देती है और इसके नियमित सेवन से वे समय से पहले ही मौत के मुंह में समा जाते हैं।
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