अनीता गुलेरिया
दिल्ली : नजफगढ़ रावता-गांव निवासी एक बुजुर्ग-किसान श्री भगवान के खेत की 2003 मे हुई चक-बंदी दौरान पटवारी द्वारा कागजी-प्रक्रिया में उसकी जमीन के बारे मे बिना किसी नोटिस दिए,अवैध-तरीके से कटौती कर दी गई । कई दिनों बाद इसकी जानकारी मिलते ही पीडित-किसान ने नजफगढ़ एसडीएम-ऑफिस में इसकी शिकायत दर्ज करवाई । तीन चार साल बीत जाने के बाद भी उसकी इस समस्या का कोई भी समाधान नहीं किया गया ।
2008 में निराश इस किसान ने पब्लिक-ग्रेवनेस में मामला दर्ज करवाया,आला-अधिकारी द्वारा पटवारी द्वारा उसकी जमीन के काफी हिस्से को काटकर पीछे की तरफ दिया गया था,उसके लिए उन्होने एसडीएम को नोटिस देते हुए जमीन के उस हिस्से को रोड पर करवाया । लेकिन जमीन की हुई कटौती का समाधान फिर भी नहीं हो पाया,अभी फिलहाल जिस विभाग में मामला चल रहा है, वहा भी पांच-सालो से हताश पीडित-लाचार बजुर्ग-किसान ने मीडिया-समक्ष,अपनी दुख भरी दास्तां का ब्यौरा सनाते हुए कहा,आज तक उसको प्रशासन-विभाग से तारीखे मिलने के इलावा कुछ नहीं मिला,बजुर्ग-किसान अनुसार मेरी समस्या-दौरान जितनी भी सरकारें आई,उनकी समस्या का समाधान नहीं कर पाई , आखिर क्यों ?
इतने समय से सरकारी प्रशासन-विभाग के नुमाइंदे इस अन्याय के प्रति सजगता-पूर्वक तरीके से काम करने में हिचकिचा रहे हैं ? इतने लंबे समय तक तो,हत्या जैसे गंभीर-केसो का भी निपटारा हो जाता है । पीड़ित-किसान ने सरकार के आगे गुहार लगाते हुए कहा, उनके साथ हुए अन्याय के खिलाफ, हक की लडाई लडते उसके पिता चले गए,और अब मैं भी बुजुर्ग हो चुका हू,आखिर यह तो बताया जाए,इंसाफ मिलेगा भी या नही,यदि मिलेगा तो उनकी कितनी और पीढ़ियों को बलिदान देना पड़ेगा ।
सभी सरकारें अपने अन्नदाता के प्रति संजीदगी दिखाने के खोखले-दावे आखिर क्यों करती है ? देश में आए दिन किसानों की प्रताड़ना के किस्से देखकर,कहीं से भी नहीं लगता आज की सरकार भी अन्नदाता किसान के लिए सहपूर्ण तरीके से संजीदा है ।
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