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रासलीला मे श्रीकृष्ण ने लिया जन्म,कंस हुआ आक्रोशित


■ रासलीला के द्श्य देख भाव विभोर हुए दर्शक

बनारसी चौधरी
बेलहर, संतकबीरनगर। बेलहर विकाश खण्ड के ग्राम सभा बेलहर कला के चौराहे पर नौ दिवशीय गणेश पूजा के दूसरे दिन मंच के कलाकारों द्वारा कंस और कृष्ण कि लीलाओं को आगे बढाते हुए लीला का सुभारम्भ किया गया। अपनी मृत्यु से बचने के लिए कंस अपने ही भांजे कृष्ण को मार डालना चाहता था। क्योंकि उसकी बहन देवकी और वासुदेव के विवाह के समय ही ये भविष्यवाणी हो गई थी। कि देवकी और वासुदेव के गर्भ से जन्म लेने वाली आठवीं संतान ही उसका वध करेगी। कंस चाहता तो वो अपनी मृत्यु से बचने के लिए अपनी बहन को ही मार देता, किन्तु बहन के प्रेम ने उसे रोक लिया। उसने देवकी और वासुदेव की सभी संतानों संतान को पैदा होते ही मार देने का निर्णय लिया। ईश्वर की कृपा से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म भी लिया और माँ यमुना को आशीर्वाद देते हुए सुरक्षित गोकुल पहुँच गए। जब कंस को पता चला कि उसकी मृत्यु के रूप में उसका भांजा जन्म ले चुका है और गोकुल में है। तो कंस ने उस बालक को मारने के लिए कई राक्षस भेजे जिससे कंस ने सबसे पहले श्रीकृष्ण को मारने के लिए राक्षसी पूतना को भेजा। उस समय श्रीकृष्ण दुध मुँहे बालक थे। ऐसे बालक का वध करना उस राक्षसी पूतना को आसान लगा। पूतना गोकुल पहुंची और मौका पाकर बालक श्रीकृष्ण को उठा ले गई। अपने स्तन पर विष लगाकर बाल कृष्ण को दूध पिलाने लगी। बाल कृष्ण के रूप में श्री विष्णु जी ने उसके स्तनों से उसके प्राण खींच लिए और उसका वध कर दिया। पूतना वध के पश्चात् कंस ने अपने भांजे कृष्ण को मारने के लिए तृणावर्त नामक राक्षस को भेजा। तृणावर्त की विशेषता ये थी कि वो एक बवंडर का रूप ले सकता था। तृणावर्त बवंडर के रूप में गोकुल पहुंचा और अपने आस-पास के पेड़ पौधे उखाड़ता हुआ भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप को भी ले उड़ा। श्रीकृष्ण ने अपना भार बढ़ाना आरम्भ कर दिया। उन्होंने अपना भार इतना बढ़ा लिया कि तृणावर्त असुर संभाल नहीं पाया और उसे अपना वेग रोकना पड़ा। जैसे ही वो रुका श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया और उसे भी मुक्ति दे दी। तृणावर्त के पश्चात् भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए कंस ने वत्सासुर को भेजा। जब वत्सासुर गोकुल आया तो उस समय लड्डू-गोपाल श्रीकृष्ण गईयां चरा रहे थे। वत्सासुर ने मौके का फ़ायदा उठाया और बछड़े का रूप धारण करके उनकी गईयों में शामिल हो गया। इसके पश्चात् वो अवसर की प्रतीक्षा करने लगा। किन्तु उससे पहले ही श्रीकृष्ण ने उसे पहचान लिया और उसकी पूछ पकड़कर पेड़ से पटक-पटक कर मार डाला। उसके प्राण पखेरू उड़ गए। स्वयं विष्णु अवतार भगवान श्रीकृष्ण के हाथों मृत्यु पाकर उसकी भी मुक्ति हो गई। इसी तरह बकासुर और अधासुर को कृष्ण के हाथों मुक्ति मिल गई। रासलीला की चर्चा दिन में भी बडी जोरों पर चल रही हैं। इस अवसर पर सन्तोष पांडेय, वेदप्रकाश, श्रीचंद पांडेय, मनोज राय, सुरेंद्र राय, धर्मेन्द्र कुमार, मुकेश यादव सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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